
गया। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए वीभत्स आतंकी हमले के विरोध में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के नेतृत्व में गया में एक विशाल आक्रोश मार्च निकाला गया। आक्रोशित लोगों ने जिला स्कूल से टावर चौक तक रैली निकालकर इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ नारेबाजी की और टावर चौक पर आतंकी मानसिकता का象ात्मक पुतला दहन किया। इस दौरान वीरगति प्राप्त श्रद्धालुओं को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
प्रांत प्रवर्तन प्रमुख प्रेमनाथ टाइयां ने इस घटना की तीव्र निंदा करते हुए कहा, “यह केवल एक आतंकी हमला नहीं, बल्कि पाकिस्तान और उसके कश्मीरी स्लीपर सैल द्वारा भारत के खिलाफ घोषित खुला युद्ध है। अब समय आ गया है कि मजहबी आतंकवाद का समूल नाश सुनिश्चित किया जाए।”
उन्होंने बताया कि पहलगाम में यात्रियों के कपड़े उतरवाकर, कलमा पूछकर और आईडी चेक कर सिर्फ इस आधार पर कि वे मुस्लिम नहीं थे, उन्हें बेरहमी से मार दिया गया — यह मानवता को शर्मसार करने वाली घटना है। उन्होंने चेताया कि 1990 के आतंकवाद के दौर को दोहराने की साजिश की जा रही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
महानगर मंत्री राजीव कुमार ने कहा, “कश्मीर में आतंकी स्लीपर सेल आज भी सक्रिय हैं जो पाकिस्तान के इशारे पर किसी भी समय इस तरह की घृणित घटनाएं अंजाम देने को तैयार रहते हैं।” उन्होंने एक हालिया बयान का जिक्र करते हुए कहा कि कश्मीर में बाहर से आने वालों को सांस्कृतिक अतिक्रमणकर्ता बताना भी इस आतंकी हमले की पृष्ठभूमि तैयार करने का हिस्सा हो सकता है।
मातृशक्ति से जुड़ी सीमा सिन्हा ने कहा, “कुछ लोग कहते हैं कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता, लेकिन उसका मजहब जरूर होता है। इस नरसंहार पर भारत के मुस्लिम नेताओं की चुप्पी दुर्भाग्यपूर्ण है। वे वक्फ एक्ट के नाम पर देशभर में हलचल मचा सकते हैं लेकिन इस निर्मम हत्या पर कोई आवाज नहीं उठाते।”
विहिप नेता सूरज प्रताप ने हिंदू समाज से अपील की कि ऐसे कृत्यों का समर्थन करने वालों का सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार किया जाए।
इस आक्रोश मार्च में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दुर्गा वाहिनी, मातृशक्ति, विद्यार्थी परिषद, भारत विकास परिषद, हिंदू सेना, अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद, परशुराम गुरुकुल, रामनवमी पूजा समिति सहित अनेक संगठनों के प्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। प्रमुख रूप से प्रियंका दीदी, सुनीता अग्रवाल, प्रतिमा लोहानी, सरिता त्रिपाठी, संगीता सिन्हा, नीलम मिश्रा, अर्पणा मिश्रा, विवेकानंद, विक्रम गुर्दा, रौनक सेठ, राणा रंजीत सिंह, टिंकू गोस्वामी, अमित मिश्रा, चंदन सिन्हा और मुन्ना बजरंगी जैसे सैकड़ों कार्यकर्ता इस मार्च में शामिल हुए।
जनता में गुस्सा साफ नजर आ रहा है और वक्ताओं ने केंद्र सरकार से तत्काल कठोर कार्रवाई की मांग की है, ताकि ऐसे दुस्साहस दोबारा न हो सकें।