
टिकारी (संवाददाता): भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बिहार प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल के सरकारी आवास पर तैनात केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवान आशुतोष मिश्रा (45 वर्ष) ने मंगलवार को अपनी सर्विस रिवॉल्वर से गोली मारकर आत्महत्या कर ली। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया। यह दुखद घटना टिकारी थाना क्षेत्र के लाव गांव निवासी आशुतोष मिश्रा ने प्रदेश अध्यक्ष के पटना स्थित सरकारी आवास पर अंजाम दी। आत्महत्या के कारणों का अभी तक पता नहीं चल सका है, और पुलिस ने मामले की गहन जांच शुरू कर दी है।
घटना का विवरण
प्राप्त जानकारी के अनुसार, आशुतोष मिश्रा CRPF की 224वीं वीआईपी बटालियन की डी कंपनी में तैनात थे और हाल ही में उनकी ड्यूटी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल के अंगरक्षक के रूप में लगाई गई थी। घटना उस समय हुई जब आशुतोष अपने ड्यूटी स्थल, यानी प्रदेश अध्यक्ष के सरकारी आवास पर मौजूद थे। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि उन्होंने अपनी सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मार ली। घटनास्थल पर मौजूद अधिकारियों ने तत्काल कार्रवाई करते हुए शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया।
आशुतोष का पारिवारिक और पेशेवर जीवन

आशुतोष मिश्रा मूल रूप से टिकारी थाना क्षेत्र के लाव गांव के रहने वाले थे और अपने पिता अवधेश मिश्रा के इकलौते बेटे थे। उन्होंने 12 मार्च, 2001 को CRPF में भर्ती होकर अपने करियर की शुरुआत की थी। वर्ष 2021 में उनका तबादला पटना हुआ था, और इसके बाद से वे विभिन्न महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे थे। अपनी सेवा के दौरान आशुतोष सूडान में एक विभागीय मिशन पर भी तैनात रहे थे, जो उनकी काबिलियत को दर्शाता है। बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले आशुतोष ने CRPF में शामिल होने के बाद अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारा था। उनकी प्राथमिक शिक्षा गांव के स्कूल में हुई, जबकि इंटरमीडिएट के बाद उन्होंने कुछ समय रांची में रहकर पढ़ाई की थी।
आशुतोष की निजी जिंदगी में भी कई उतार-चढ़ाव रहे। उन्होंने तीन शादियां की थीं और वर्तमान में अपनी तीसरी पत्नी सोनी कुमारी पाठक के साथ रह रहे थे। उनके दो बच्चे हैं—एक बेटी अदिति मिश्रा और एक बेटा आदित्य मिश्रा, जो मात्र 18 महीने का है। परिवार के इकलौते कमाऊ सदस्य होने के नाते उनकी मौत ने बुजुर्ग माता-पिता और चार बहनों के लिए गहरा संकट खड़ा कर दिया है।
परिवार पर टूटा दुख का पहाड़

आत्महत्या की खबर मिलते ही लाव गांव में उनके परिवार और स्वजनों में कोहराम मच गया। आशुतोष के पिता और मां, जो पिछले कई महीनों से गंभीर रूप से बीमार चल रहे हैं, को इस दुखद घटना की सूचना देर शाम तक नहीं दी गई थी। परिजनों का कहना है कि वृद्ध दंपति की नाजुक हालत को देखते हुए उन्हें संभालने के लिए परिवार के अन्य सदस्यों के आने का इंतजार किया गया। देर शाम तक उनके माता-पिता अपने इकलौते बेटे की मौत से अनजान रहे। जैसे ही यह खबर इंटरनेट मीडिया के जरिए फैली, लाव गांव में उनके घर के बाहर ग्रामीणों की भीड़ जुटने लगी।
अंतिम यात्रा की तैयारी
स्वजनों के अनुसार, आशुतोष का पार्थिव शरीर पटना से गया स्थित CRPF कैंप भेजा गया है। वहां से बुधवार को शव उनके पैतृक गांव लाव लाया जाएगा, जहां अंतिम संस्कार की तैयारी की जा रही है। परिवार और गांव के लोग इस अप्रत्याशित घटना से स्तब्ध हैं। घटना से एक दिन पहले आशुतोष ने गांव के अपने एक दोस्त से फोन पर बात की थी। इस दौरान उन्होंने जमीन से संबंधित कुछ परिमार्जन के आवेदन की जानकारी ली थी और 15 दिनों के भीतर छुट्टी लेकर घर आने की बात कही थी। उनकी इस योजना के बीच अचानक लिया गया यह कदम सभी के लिए पहेली बना हुआ है।
पंचायत के मुखिया आशुतोष कुमार मिश्रा ने बताया कि घटना की सूचना मिलने के बाद वे शाम करीब 4:30 बजे आशुतोष के घर गए और उनके बीमार माता-पिता का हालचाल लिया। उस समय तक परिवार ने वृद्ध दंपति को यह दुखद समाचार नहीं सुनाया था। पिछले 10 महीनों से गंभीर बीमारी से जूझ रहे माता-पिता की स्थिति को देखते हुए किसी ने भी उन्हें सूचित करना उचित नहीं समझा।
जांच जारी
पुलिस और CRPF के वरिष्ठ अधिकारी इस मामले की तह तक जाने के लिए जांच में जुट गए हैं। आत्महत्या के पीछे की वजह क्या थी—मानसिक तनाव, पारिवारिक दबाव या कोई अन्य कारण—यह अभी स्पष्ट नहीं हो सका है। अधिकारियों का कहना है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और अन्य साक्ष्यों के आधार पर ही कोई ठोस निष्कर्ष निकाला जा सकेगा। इस घटना ने न केवल आशुतोष के परिवार, बल्कि लाव गांव और भाजपा संगठन में भी शोक की लहर पैदा कर दी है।