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जेल की दीवारें नहीं रोक सकीं सच्चाई की गूंज: संत रामपाल जी महाराज का अदम्य साहस और जेल की कहानी

On: Tuesday, August 12, 2025 4:48 PM

✍️ दीपक कुमार

“जेल” और समाज की सोच: एक सच्चाई जिसे समझना जरूरी है

जब किसी व्यक्ति के जीवन से “जेल” शब्द जुड़ जाता है, तो समाज में उसकी गरिमा पर प्रश्नचिन्ह लगना लगभग तय है। यह एक ऐसा दाग़ है जो व्यक्ति के चरित्र पर स्थायी प्रभाव डाल देता है। आमतौर पर जेल जाने के बाद लोग उसे घृणा या संदेह की नजर से देखने लगते हैं।

हालांकि, जेल जाने के कारण अलग-अलग हो सकते हैं। हर वह व्यक्ति जो जेल गया हो, जरूरी नहीं कि वह अपराधी, भ्रष्टाचारी या दुष्कर्मी हो। इतिहास गवाह है कि कई महापुरुषों ने जनहित, समाज सुधार और राष्ट्रसेवा के लिए भी जेल की प्रताड़नाएं सहन कीं।

इतिहास के पन्नों में “जेल” से जुड़े महान उदाहरण

जहाँ एक ओर चंद्रशेखर आज़ाद और भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों ने देश के लिए हँसते-हँसते अपने प्राण न्योछावर कर दिए, वहीं महात्मा गांधी ने भी सत्य और अहिंसा की राह पर चलकर जेल जाने की मिसाल कायम की।

श्रीकृष्ण जी का जन्म भी जेल में हुआ था, लेकिन आज पूरी दुनिया उन्हें पूजती है।
ईसा मसीह ने “सत्य” कहा और उन्हें सूली पर चढ़ा दिया गया, लेकिन समय ने उन्हें “Son of God” के रूप में अमर कर दिया।
निकोलस कोपरनिकस जैसे वैज्ञानिक ने धरती के घूमने का सत्य बताया, जनता ने उसे झूठा कहकर फांसी दे दी, लेकिन बाद में इतिहास ने उसके नाम को स्वर्णाक्षरों में लिखा।

जनता और सत्य की कड़वी हकीकत

इतिहास बताता है कि जब भी किसी महान व्यक्ति ने जनता के सामने कठोर लेकिन जरूरी सच रखा, तो उसे प्रताड़ना सहनी पड़ी। ठीक इसी तरह संत रामपाल जी महाराज ने भी समाज को नई चेतना और गूढ़ सतज्ञान देने का प्रयास किया।

उन्होंने अपना घर-परिवार छोड़कर, इंजीनियर की नौकरी त्यागकर, जीवन को समाज के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। उनका “अपराध” सिर्फ इतना था कि उन्होंने जनता को नशा, दहेज, रिश्वत और अन्य सामाजिक बुराइयों से दूर करने का प्रयास किया और पवित्र ग्रंथों से प्रमाणित करके बताया कि कबीर साहेब ही पूर्ण ब्रह्म परमात्मा हैं

कबीर साहेब से लेकर संत रामपाल जी महाराज तक

कबीर साहेब पर भी आज से लगभग 600 वर्ष पहले कई अत्याचार हुए — उन्हें 52 बार मारने का प्रयास किया गया, उबलते तेल में डालना, पागल हाथी से कुचलवाना, नदी में डुबोना, तोप से उड़ाने का प्रयास — लेकिन समर्थ को कोई मार नहीं सकता।

कबीर साहेब ने कहा था कि कलयुग में 5500 वर्ष बीत जाने के बाद उनका अंश पुनः आएगा और वही ज्ञान देगा। अनुयायियों के अनुसार, यह भविष्यवाणी संत रामपाल जी महाराज पर लागू होती है।

सच्चे ज्ञान से घबराते नकली संत

संत रामपाल जी महाराज ने वेद, पुराण, कुरान, बाइबिल और गुरु ग्रंथ साहिब जैसे सभी पवित्र ग्रंथों का गहन अध्ययन करके सही भक्ति विधि बताई। इससे नकली संतों और धार्मिक ठेकेदारों के हितों को खतरा महसूस हुआ। उन्होंने धर्म की झूठी दुकानों को बचाने के लिए संत रामपाल जी महाराज के खिलाफ साजिश रची और अंततः वे जेल में पहुँचे।

वर्तमान में आंदोलन की सफलता

आज करोड़ों अनुयायी संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर नशा, दहेज, चोरी, रिश्वत जैसे अपराधों को त्याग चुके हैं और शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
उनकी शिक्षाओं का प्रसार साधना टीवी पर प्रतिदिन शाम 7:30 से 8:30 बजे तक देखा जा सकता है।

निष्कर्ष
जेल हमेशा अपराध का प्रतीक नहीं होता। कभी-कभी यह सच्चाई, साहस और समाज सुधार की कीमत भी हो सकता है। इतिहास के अनेक उदाहरण बताते हैं कि सत्य बोलने वालों को अक्सर जनता की गलतफहमियों और सत्ता के दमन का सामना करना पड़ता है।
संत रामपाल जी महाराज का संघर्ष भी इसी श्रृंखला की एक कड़ी है — जिसे समय ही पूरी तरह समझ पाएगा। लेकिन जो समझ गया वो सत्य को प्राप्त कर लिया।

नोट: इस आर्टिकल का उद्देश्य किसी व्यक्ति, धर्म या संस्था की कानूनी प्रक्रिया पर टिप्पणी करना नहीं है, बल्कि समाज में “जेल” शब्द के प्रति बनी मानसिकता पर विचार-विमर्श करना है।

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