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देवब्रत मंडल

गया नगर निगम में अग्रिम राशि की ‘लूट की छूट’ है। विकास की योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए अभियंताओं को प्राक्कलन के अनुसार लेखा शाखा से सहमति के पश्चात कुछ राशि बतौर अग्रिम दी जाती है। इसके बाद योजनाओं को धरातल पर या तो विभागीय संवेदक या फिर बाहरी व्यक्ति जो निविदा लेने में सफल होते हैं उन्हें अग्रिम राशि का भुगतान किया जाता है। जिसका समायोजन कराने के बाद प्राक्कलित राशि में से आगे की राशि का भुगतान संवेदक को किया जाता है लेकिन गया नगर निगम के कई अभियंता ऐसे हैं जो लाखों रुपए बतौर अग्रिम राशि तो प्राप्त कर लिए परंतु उसका समायोजन नहीं कराया। यह राशि करोड़ रुपए से भी अधिक है। इसके लिए समय समय पर निगम बोर्ड और सशक्त स्थायी समिति की बैठकों में पार्षदों ने प्रमुखता से मुद्दा उठाया। संबंधित अभियंता को विभागीय स्तर से पत्र लिखकर राशि के समायोजन करने के लिए निर्देशित किया जाता रहा है लेकिन यहां मानो इससे कोई फर्क अभियंताओं पर नहीं पड़ता है। और तो और लेखा शाखा जहां अग्रिम राशि से संबंधित हिसाब किताब सुरक्षित रखा जाता है वहां से भी कोई ऐसी कार्यवाही नहीं हुई जिससे अग्रिम राशि का समायोजन संबंधित अभियंताओं के द्वारा करा लिया गया होता। जब यह बात नगर आयुक्त भाप्रसे अभिलाषा शर्मा को मालूम हुआ तो उन्होंने सख्ती बरती और ऐसे अभियंताओं के वेतन भुगतान पर रोक लगा दिया।
मगध लाइव न्यूज़ की टीम को जब यह जानकारी प्राप्त हुई कि कई अभियंताओं के वेतन भुगतान पर रोक लगा दिया गया है तो इसकी पड़ताल शुरू कर दिया है कि आखिर इस अग्रिम राशि की लूट की छूट का मजा कौन कौन ले चुके हैं। जिसकी सजा अब उन्हें भुगतना पड़ रहा है।
इस कड़ी में एक सेवानिवृत्त कनीय अभियंता की बात आपको मगध लाइव बता रहा है। ये हैं कनीय अभियंता अजय कुमार। इन पर 37 लाख रुपए अग्रिम राशि का बकाया चला आ रहा है। यह मामला 2018 से चला आ रहा है। इस राशि का समायोजन करवाए बिना कनीय अभियंता अजय कुमार रिटायर हो गए। जबकि लेखा शाखा के पदाधिकारी और अभियंत्रण विभाग के सहायक का यह दायित्व बनता था कि जबतक अग्रिम राशि का समायोजन नहीं करवा लेते हैं तब तक उन्हें सेवांत लाभ से वंचित रखा जाता और नगर आयुक्त को इससे अवगत करा दिया जाता। इधर जब मगध लाइव ने इस मामले की पड़ताल शुरू की तो पता चल रहा है कि ऐसे अभियंता अब अग्रिम राशि के समायोजन को लेकर कार्यालयों और ‘साहेब’ का चक्कर लगा रहे हैं।
अब तो वित्तीय वर्ष 2024-25 का वार्षिक बजट पेश करने की तैयारियां शुरू हो कर दी है तो जिस तरह गत वर्ष बजट सत्र में इसको लेकर हंगामा हुआ था तो क्या इस वर्ष भी यह मुद्दा उठाया जाएगा या फिर करोड़ों रुपए की राशि का समायोजन करा लिया जाएगा। कई पार्षदों का कहना है कि एक छोटे से नाली निर्माण के लिए बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव रखा जाता है तो निगम राजस्व में राशि की कमी का हवाला देकर योजनाओं को अस्वीकार कर दिया जाता है। वहीं दूसरी तरफ करोडों रुपए अग्रिम लेकर बैठे हुए अभियंताओं से उस राशि का समायोजन नहीं हो पाना कहीं न कहीं वित्तीय संकट का एक बड़ा कारण यह भी देखने को मिल रहा है। अगली कड़ी में एक और अभियंता की कहानी पढ़ें