
“लू से बचें और सहेजें जीवन”
“शेखर “
तप रही धरती, जल रहा है गगन,
हवा हुई गरम, बढ़ गया तपन,
यह लू लिए आई है ,गर्मी की छन-छन।
धूप की चुभन, हवा की मार,
अब ज़रा गरम हवा और लू से बचाव पर करें विचार।
छांव की ओट में रहना अब प्यारा,
क्योंकि सूरज उगल रहा आग का अंगारा।
टोपी, छाता साथ में रखना,
सिर और तन को ढँक कर चलना ।
पानी पीते रहना है बार-बार,
प्यास लगे ना, फिर भी पानी पीने का रखें विचार।
नारियल पानी, नींबू रस है इस ऋतु प्यारा,
गर्मी में ये है सबसे बड़ा सहारा।
धूप में ना , ना दोपहर को निकले,
यदि निकले तो पूरा पानी पी ले,
जैसे डीजल पेट्रोल गाड़ी का ईंधन ,
बस वैसे ही शरीर में भरा जल ही है जीवन ।
धूप में निकले तो कहीं ठंडी छांव में कुछ पल रह ले ,
सर पर टोपी गमछा,आँखो पर काला चश्मा पहन लें,
बुज़ुर्ग हों या बच्चे नन्हे,
धूप से बचें और ये कुछ नियम समझ लें ।
हल्के कपड़े, सूती हो जाएं,
गाढ़े रंगों से दूरी बनाएँ।
शरीर को शीतल रखना कला,
वरना गर्मी करेगी हल्ला।
खान-पान में ठंडा लाए,
खीरा, ककड़ी, तरबूज़ सजाए ।
लू लगे तो मदद को चिल्लायें,
ओ.आर.एस. घोल तुरत पिलायें ।
शरीर के कपड़े थोड़े कर दे ढीले,
लू से पीड़ित को सावधानी से उठा कर छांव में ले चलें।
चलें सभी को अब हम समझाएं,
लू से खुद भी बचें, औरों को भी बचाएं।
गर्मी की इस तपी कहानी में,
ये कुछ सावधानी है सबको जाननी,
क्योंकि गर्मी से हम सब को है जान बचानी ।
रेल हमारा चले निर्बाध ,
हम रेल के कर्मयोगी सदा रहे आबाद ,
सतर्कता गई , दुर्घटना हुई हमारा मंत्र,
गर्मी से बचाओ का सतर्कता और सावधानी ही मंत्र ,
आयें हम इन सावधानी के मंत्र को अपनाये ,
गर्मी के दुष्प्रभाव से ख़ुद भी और औरों को भी बचाए ।
क्यों ले रहे राड़ ,
काट रहे पेड़ धरती का सीना फाड़,
चहूँ और कंक्रीटो का जाल,
बढ़ रहा पर्यावरण का तापमान कमाल ।
आओ पर्यावरण के तापमान को कम करने की संभालें कमान ,
लगाये सब एक पेड़ “माँ “के नाम ,
और यही होगा सही में भारत माता को अपना सलाम ।
जय हिंद
– “शेखर “
डॉ चंद्रशेखर झा
भारतीय रेल स्वास्थ्य सेवा ‘२०o३
अपर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक,
पूर्व मध्य रेलवे, डीडीयू