गया: बिहार के पवित्र नगरी गयाजी में पितृपक्ष मेला अपने समापन की ओर अग्रसर है। इस दौरान जिला प्रशासन और विभिन्न स्वयंसेवी संगठन श्रद्धालुओं की सुविधा और सेवा में तत्पर हैं। विशेष रूप से बुजुर्ग और असहाय यात्रियों के लिए एनसीसी कैडेट्स, भारतीय स्काउट्स एंड गाइड्स के युवा, और अन्य स्वयंसेवी “अतिथि देवो भव:” की भावना के साथ सहायता प्रदान कर रहे हैं। इस वर्ष मेले में एक अनूठा दृश्य देखने को मिला, जब रूस, यूक्रेन, स्पेन सहित अन्य देशों से आए लगभग दो दर्जन विदेशी श्रद्धालुओं ने सीताकुंड के समीप पिंडदान किया।

इन विदेशी यात्रियों को वाराणसी भ्रमण के दौरान एक आश्रम में गयाजी के पितृपक्ष मेले और पिंडदान की महत्ता की जानकारी मिली। गहरी रुचि जागने पर उन्होंने गूगल के माध्यम से विस्तृत जानकारी प्राप्त की और पिंडदान करने का निर्णय लिया। वाराणसी के आश्रम से जुड़े लोगों ने गया के पितृ कल्याण सेवा शिविर के आयोजकों से संपर्क स्थापित किया। इसके बाद, आचार्य माघव जी (मुन्ना जी) और आचार्य अभिनव शंकर के नेतृत्व में इन यात्रियों ने पूर्ण विधि-विधान के साथ पिंडदान संपन्न किया।
आचार्यद्वय ने बताया कि सभी विदेशी श्रद्धालु शाकाहारी हैं और भगवान शिव के परम भक्त हैं। प्रत्येक ने गले में रुद्राक्ष की माला पहनी थी और दुभाषिया की सहायता से मंत्रोच्चार के साथ श्रद्धापूर्वक अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया। पिंडदान करने वालों में दियाना, एवगेनिया, ओलगा, अलेक्सी, वैलेंटीना, और सोफिया जैसे श्रद्धालु शामिल थे, जिन्होंने कर्मकांड के बाद गहरी शांति और संतुष्टि की अनुभूति व्यक्त की। इन विदेशी श्रद्धालुओं ने सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि वे अपने देश लौटकर सनातन धर्म की महत्ता और पितृपक्ष मेले के महत्व को प्रचारित करेंगे, ताकि अधिक लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए गयाजी आएं।
इस आयोजन में भारतीय स्काउट्स एंड गाइड्स के जिला संगठन आयुक्त गोपाल कुमार, सचिव रंजीत कुमार शैलेंद्र, रवि रंजन कुमार, बेबी कुमारी, प्रिज्जवल शर्मा, पवन, आर्यन, चंदन, सूरज, उज्जवल, सुधांशु दांगी, उत्तम, प्रतिज्ञा, गुड़िया, और अंकिता ने सराहनीय योगदान दिया। पिंडदान के बाद सभी श्रद्धालुओं ने सीताकुंड में पितृ कल्याण सेवा शिविर के लंगर में प्रसाद ग्रहण किया और आयोजन की सुव्यवस्थित और शांतिपूर्ण संचालन के लिए जिला प्रशासन, स्वयंसेवियों, और आयोजकों के प्रति आभार व्यक्त किया। गयाजी का यह पितृपक्ष मेला न केवल सनातन धर्म की आध्यात्मिक महत्ता को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर सांस्कृतिक एकता और मानवीय संवेदनाओं को भी मजबूत करता है।