टिकारी संवाददाता|टिकारी–खैरा–कोंच मुख्य पथ पर हो रहा विशेष मरम्मत कार्य घटिया सामग्री और विभागीय लापरवाही की भेंट चढ़ता दिख रहा है। करीब 8 किलोमीटर लंबी यह सड़क, जिसे गड्ढों में तब्दील होने के बाद 6 करोड़ 95 लाख रुपये की लागत से मरम्मत किया जाना है, लेकिन हकीकत यह है कि जहाँ मरम्मत चल रही है, वहीं दूसरी तरफ पिच बनने के साथ ही उखड़ रही है।
पिच उखड़ने के पीछे घटिया बिटुमेन और कम मोटाई कारण

स्थानीय जानकारों के अनुसार सड़क मरम्मत में उपयोग किए जाने वाले बिटुमेन (अलकतरा) की मात्रा बेहद कम रखी गई, जिससे पिच सड़क से चिपक ही नहीं रही। इतना ही नहीं, पथ निर्माण के दौरान थिकनेस—जो विभागीय मानक के अनुसार 80MM होनी चाहिए—कम रखी गई है।
जाइंट फिटिंग भी मानकों के अनुरूप नहीं है। कई जगहों पर पूर्व में उखड़े हिस्सों में बिना कटिंग, बिना सब-बेस सुधार किए सीधे पिच डालकर रोलर चला दिया गया, जिससे सड़क एक-दो दिन में ही उधड़ रही है। ग्रामीणों ने निर्माण कार्य को लेकर विभाग में औपचारिक शिकायत दर्ज की है और प्राक्कलन के अनुसार गुणवत्तापूर्ण मरम्मत की मांग की है।
6.95 करोड़ की मरम्मत और संवेदक की उदासीनता

आरसीडी शेरघाटी डिवीजन द्वारा कराए जा रहे इस मरम्मत कार्य की निविदा 6 करोड़ 95 लाख 56 हजार 189 रुपए में निकाली गई थी।
अगस्त माह में तत्कालीन विधायक व पूर्व मंत्री डॉ. अनिल कुमार ने इसका शिलान्यास किया था। मरम्मत कार्य आधा पूरा हो चुका है, लेकिन शिकायतों के बाद भी संवेदक गुणवत्ता सुधार को लेकर गंभीर नहीं दिख रहा है।
अधिकारी ने प्लांट की खराबी को बताया वजह
सामग्री गुणवत्ता पर सवाल उठने के बाद कार्यपालक अभियंता कांति भूषण ने माना कि
“सामग्री निर्माण प्लांट में तकनीकी खराबी आने से कुछ बैच में बिटुमेन की मात्रा कम हो गई थी, और वही सामग्री उपयोग में आ गई। विभाग मरम्मत कार्य पर लगातार निगरानी रख रहा है और बेहतर मरम्मत सुनिश्चित की जाएगी।”
ग्रामीणों में नाराज़गी, सरकारी धन की बर्बादी का डर
स्थानीय लोग आरोप लगा रहे हैं कि करोड़ों खर्च होने के बावजूद सड़क की स्थिति में सुधार की बजाय और बदहाली बढ़ रही है।
उनका कहना है कि यदि मरम्मत प्राक्कलन के अनुसार नहीं हुई, तो यह सरकारी धन का खुला दुरुपयोग साबित होगा।






