
कोंच: गुरुवार की दोपहर करीब ढाई बजे अचानक आई तेज आंधी ने कोंच क्षेत्र के दर्जनों गांवों में जमकर कहर बरपाया। इस प्राकृतिक आपदा ने गरीबों के आशियानों से लेकर किसानों की मेहनत तक को तहस-नहस कर दिया। बिजली के तार टूटने, पेड़ उखड़ने और पानी की टंकियों के धराशायी होने से क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई। सबसे ज्यादा नुकसान रबी फसल का हुआ, जो हवा के तेज झोंकों में उड़ गई, जिससे किसान गहरे सदमे में हैं।

स्थानीय लोगों के मुताबिक, दोपहर में आसमान अचानक काले बादलों से घिर गया और तेज हवाओं ने पूरे क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लिया। ढिबरी गांव में 50 साल पुराना एक विशालकाय पेड़ जड़ से उखड़कर गिर पड़ा, जिससे आसपास के मकानों को भी नुकसान पहुंचा। मौला बीघा के पुण्यदेव यादव ने बताया, “सालों पुरानी पानी की टंकी जमीन पर गिरकर चकनाचूर हो गई। अब पानी के लिए भी तरसना पड़ रहा है।” वहीं, सलेमपुर के अमीन अंसारी का करकट का मकान पूरी तरह उड़ गया। वे बताते हैं, “छोटे-छोटे बच्चों के साथ अब रहने की जगह तक नहीं बची। रात गुजारना मुश्किल हो गया है।”

आंधी का सबसे दर्दनाक पहलू रहा किसानों की बर्बाद हुई रबी फसल। खेतों में काटकर रखी गई फसल हवा के साथ ऐसी उड़ी कि उसका कोई पता नहीं चला। किसान मनोज मंजिल ने आंसुओं के साथ कहा, “पूरे साल की मेहनत बेकार हो गई। फसल इकट्ठा करने का मौका भी नहीं मिला और सब कुछ खत्म हो गया। अब परिवार का पेट कैसे पालेंगे?”

आंधी ने बिजली व्यवस्था को भी ठप कर दिया। कई गांवों में टूटे तारों के कारण बिजली आपूर्ति बाधित है। ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल बिजली बहाल करने और प्रभावित परिवारों को राहत देने की मांग की है। हालांकि, अभी तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की है कि अगले कुछ घंटों में क्षेत्र में और तेज हवाएं चल सकती हैं। ऐसे में ग्रामीण डर और अनिश्चितता के साये में जी रहे हैं। प्रभावित लोग प्रशासन से त्वरित राहत और पुनर्वास की उम्मीद लगाए बैठे हैं। इस आपदा ने एक बार फिर प्रकृति के प्रकोप के सामने इंसान की बेबसी को उजागर कर दिया है।
रिपोर्ट: महताब अंसारी ,कोंच संवाददाता