
गया: फतेहपुर प्रखंड के बगाही गांव निवासी राम अवतार यादव का बुधवार को एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। किरानीघाट चौराहे के समीप हुई इस घटना से गया शहर में शोक की लहर है। महज 20 इंच की ऊंचाई और शारीरिक विकलांगता के बावजूद राम अवतार ने अपने संघर्ष, हौसले और सेवा भावना से समाज में एक अलग पहचान बनाई थी।

राम अवतार का जीवन कठिनाइयों से भरा रहा। जन्म से ही उनकी हड्डियां टेढ़ी-मेढ़ी थीं, जिससे वह न चल सकते थे और न सामान्य जीवन जी सकते थे। दिल्ली के डॉक्टरों ने उनके ऑपरेशन में 15 लाख रुपये का खर्च बताया था, जो परिवार के लिए संभव नहीं था। ऐसे समय में शिक्षक राधेलाल ने आगे आकर उनकी देखभाल की। दो वर्षों तक घरेलू उपचार, मालिश और जड़ी-बूटियों की मदद से उन्होंने राम अवतार को खड़ा करना सिखाया।
राम अवतार ने एक बार बताया था कि वे 10 वर्ष की उम्र तक चल नहीं सकते थे, लेकिन राधेलाल जी के समर्पण ने उन्हें न सिर्फ चलना सिखाया, बल्कि जीवन जीने का हौसला भी दिया। उन्होंने शिक्षा प्राप्त की और इंजीनियर बनने का सपना देखा। 25 वर्ष की उम्र में उन्होंने इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला भी लिया, लेकिन रैगिंग की वजह से उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी।
इसके बावजूद राम अवतार ने हार नहीं मानी। उन्होंने गया के निबंधन कार्यालय में प्राइवेट मुंशी के तौर पर काम करना शुरू किया और वहीं से जीवन को नई दिशा दी। वे गरीब बच्चों और दिव्यांगजनों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। उनका मानना था कि “छोटा कद कमजोरी नहीं, ताकत है।”
राम अवतार की असमय मृत्यु से गया ने एक प्रेरणास्त्रोत व्यक्ति को खो दिया। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि सफलता के लिए शरीर नहीं, बल्कि आत्मबल, मेहनत और जुनून की आवश्यकता होती है।