देवब्रत मंडल

गया बार एसोसिएशन, गया के 300 अधिवक्ता सदस्यों ने गया बार एसोसिएशन के सचिव को एक पत्र लिखकर सदस्यों की आम बैठक बुलाकर वर्तमान कमिटी को भंग करने और आम चुनाव की घोषणा करने की मांग की है।

2016-18 सत्र के लिए हुए चुनाव के बाद नहीं हुए चुनाव

अधिवक्ताओं ने सचिव को सौंपे पत्र में कहा है कि गया बार एसोसिएशन की वर्तमान कमिटी के गठन, गया बार एसोसिएशन के सदस्यों द्वारा की गयी चयन के अनुकूल सत्र 2016-18 के लिए की गयी थी। पूर्व की परम्परा के मुताबिक एसोसिएशन के प्रशासनिक कमिटी के सदस्यों का चुनाव एक वर्ष के लिए की जाती थी, परंतु बाद में बिहार स्टेट बार काउंसिल, पटना के द्वारा दिए गये नियमन के अनुकूल, सत्र की अवधि दो वर्षों के लिए की गयी। आगे कहा है कि बिहार स्टेट बार कॉसिल, पटना द्वारा दिए गये नियमों के अनुकूल एसोसिएशन के अध्यक्ष और सचिव का चुनाव दो वर्षों के लिए की जाती रही है,

आठ वर्षों से लेखा जोखा प्रस्तुत नहीं किया गया

परन्तु वर्तमान कमिटी, द्वारा विगत 8 वर्षों में आज तक गया बार एसोसिएशन के सदस्यों की कोई आम बैठक तक नही बुलायी गयी। साथ ही पूर्व के परम्परा के मुताबिक कमिटी को एसोसिएशन के आमदनी खर्च का लेखा-जोखा एसोसिएशन के सदस्यों के समक्ष प्रत्येक वर्ष देने की परम्परा रही है, परन्तु वर्तमान कमिटी द्वारा विगत 8 वर्षों से एसोसिएशन के आमदनी खर्च का कोई लेखा-जोखा आम बैठक बुलाकर नहीं दी गयी। जिसे अधिवक्ताओं ने शर्मनाक विषय बताया है।

चुनाव की प्रक्रिया को शिथिल करने का आरोप

आगे लिखा गया है कि बिहार स्टेट बार कॉसिल, पटना के द्वारा यह नियमन प्रस्तावित है कि कोई भी सचिव और अध्यक्ष लगातार दो चुनाव के उपरांत तीसरे सत्र के लिए चुनाव नहीं लड़ सकते है, परन्तु वर्तमान कमिटी द्वारा चुनाव लड़ना, संचालन कराना तो दूर, चुनाव की प्रक्रिया को शिथिल कर आजीवन कमिटी को बनाये रखना चाहते हैं। जिसका परिणाम है कि विगत चार सत्र बीत जाने के उपरांत भी चुनाव कराना तो दूर रहा, चुनाव की घोषणा तक नहीं की गयी।

कानूनसम्मत कार्रवाई एवं आंदोलन की घोषणा

ऐसी स्थिति में अधिवक्ताओं ने कहा कि हमलोग बार एसोसिएशन के सदस्य व्यथित होकर यह आवेदन दे रहे है कि इस अनियमित व्यवस्था को अविलंब भंग कर गया बार एसोसिएशन के सदस्यों की आम बैठक एक सप्ताह के अन्दर बुलाकर चुनाव की घोषणा करने की कृपा करें। अन्यथा गया बार एसोसिएशन के सदस्य कानून सम्मत कार्रवाई करने तथा आपेक्षित आंदोलन करने के लिए बाध्य होगें।

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