देवब्रत मंडल

बिहार में जमीन की रजिस्ट्री उतना आसान नहीं रह गया, जितना कि पहले हुआ करता था। अब जमीन की खरीद बिक्री या दान वही कर सकेंगे, जिनके नाम से अंचल कार्यालय के रिकॉर्ड में जमाबंदी कायम है। सीधा सीधी बात है कि जिसके नाम से म्युटेशन हुआ है वही आदमी/समूह या तो जमीन की रजिस्ट्री या दान कर सकता है।
बिहार सरकार ने अमोद बिहारी सिन्हा एवं अन्य बनाम बिहार राज्य एवं अन्य के वाद की सुनवाई के बाद पारित आदेश के आलोक में जारी कर दिया है। 22 फरवरी 2024 को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव सचिव जय सिंह ने सूबे के सभी समाहर्ता को एक पत्र लिखा है। जिसमें स्पष्ट रूप से इस बात का उल्लेख किया गया है कि जिनके नाम से भूमि की जमाबंदी कायम है, वही जमीन का निबंधन करने के हकदार हैं।
हालांकि सरकार ने एक राहत भी दी है कि जिनके नाम से पूर्व में जमाबंदी कायम है उनके वंशज सृजित जमाबंदी में छूट गए खाता, खेसरा, रकवा एवं लगान को अद्यतन करवा लें, पारिवारिक बंटवारा हेतु वंशावली तैयार करवा लें। इसके लिए सभी अंचल द्वारा शिविर का आयोजन किया जाएगा। जो सप्ताह के तीन दिन मंगलवार, बुधवार एवं गुरुवार को हल्का मुख्यालय में शिविर लगाया जाएगा। इसके लिए प्रचार प्रसार करने का आदेश दिया गया है। यह शिविर पंचायत भवन, ग्राम कचहरी या सामुदायिक भवन में आयोजित किया जाना है।
शिविर में पूर्व से सृजित जमाबंदी में छूटे हुए खाता, खेसरा, रकवा एवं लगान को अद्यतन करवाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य के साथ परिमार्जन हेतु आवेदन प्राप्त किए जाएंगे।
फ़रिकनों को स्वघोषित वंशावली के साथ बंटवारा(शेड्यूल) की स्थिति में आवेदन देने होंगे। जिसे अंचलाधिकारी द्वारा ऑनलाइन दाखिल खारिज किया जाएगा।
आपसी बंटवारानामा के आधार पर प्राप्त दाखिल खारिज आवेदन को पूर्व से निर्गत फिफो के प्रावधान से अलग करते हुए प्राथमिकता के आधार पर किया जाना है। इसके लिए सक्षम और संबंधित पदाधिकारी को शिविर में पर्यवेक्षण के लिए प्रतिनियुक्त किए जाने का भी आदेश दिया गया है।
कहने का आशय है जिनकी जमीन माता, पिता दादा आदि के नाम से है और वे अब इस दुनिया में नहीं हैं और उनके नाम से यदि जमाबंदी कायम है और उनके वंशजों द्वारा भौतिक तौर पर कब्जा है लेकिन उनके नाम पर जमाबंदी नहीं कायम है तो वे संबंधित जमीन की बिक्री यानी रजिस्ट्री उस समय तक नहीं कर पाएंगे जब तक कि उनके जीवित वंशजों के नाम से जमाबंदी कायम नहीं हो जाता है।
ऐसे में स्वाभाविक है कि अरसे से जमीन को लेकर परिवार के बीच में चली आ रही समस्याओं का हल निकाल लेने का मौका सरकार प्रदान कर रही है। जिससे आगे चलकर भूमि संबंधित विवाद का अवसर ही नहीं मिले

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