प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 अगस्त को गया में आयोजित जनसभा के दौरान बिहार को कई बड़ी सौगातें देंगे। इनमें दो परियोजनाएं खास तौर पर सुर्खियों में हैं—पहली, गंगा नदी पर देश का सबसे चौड़ा छह लेन पुल और दूसरी, बिहार-झारखंड के सभी प्रमुख बौद्ध स्थलों को जोड़ने वाली नई ट्रेन।
गंगा पर बनेगा देश का सबसे चौड़ा छह लेन पुल
बेगूसराय के सिमरिया से मोकामा के औटा तक बना यह पुल अत्याधुनिक एक्सपैंशन केबल तकनीक से निर्मित है। यह पुल पुराने दो लेन रेल-सह-सड़क राजेंद्र सेतु के समानांतर बनाया गया है। सिमरिया धाम, जो राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की जन्मभूमि है, इसी क्षेत्र में स्थित है।
इस पुल की कुल लंबाई एप्रोच सहित 8.150 किमी है, जिसमें से 1.86 किमी हिस्सा गंगा नदी पर है। इसकी चौड़ाई 34 मीटर है, जो सामान्य छह लेन पुल (29.5 मीटर) से साढ़े चार मीटर अधिक है। इस पर 1,871 करोड़ रुपये की लागत आई है।
पुल चालू होने के बाद उत्तर और दक्षिण बिहार की दूरी लगभग 100 किमी कम हो जाएगी। साथ ही पश्चिम बंगाल, झारखंड और असम के बीच परिवहन और व्यापारिक आवागमन भी आसान होगा। यह पुल हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल (HAM) के तहत बनाया गया है, जिसमें 60% लागत निर्माण एजेंसी और 40% केंद्र सरकार वहन करती है।
गंगा पर पुलों का नया नेटवर्क

2005 तक गंगा पर केवल 4 बड़े पुल थे, लेकिन पिछले 19 वर्षों में 14 नए पुल तैयार किए जा चुके हैं। वहीं, 9 पुलों पर निर्माण कार्य प्रगति पर है, जिनमें दीघवारा-शेरपुर छह लेन पुल, महात्मा गांधी सेतु के समानांतर चार लेन पुल, कच्ची दरगाह-बिदुपुर छह लेन पुल और विक्रमशीला के समानांतर चार लेन पुल प्रमुख हैं। इसके साथ ही गंगा पर प्रस्तावित 15वां पुल मटिहानी-शाम्हो होगा, जिसकी डीपीआर स्वीकृति की प्रक्रिया में है।
बुद्ध सर्किट को जोड़ने वाली नई ट्रेन
प्रधानमंत्री मोदी बुद्ध सर्किट को समर्पित एक विशेष ट्रेन को भी हरी झंडी दिखाएंगे। यह ट्रेन वैशाली से कोडरमा (झारखंड) तक चलेगी और मार्ग में हाजीपुर, पटना, बख्तियारपुर, नालंदा, राजगीर, गया, गुरपा सहित प्रमुख बौद्ध स्थलों को जोड़ेगी।
नई ट्रेन सुबह 5:15 बजे वैशाली से खुलकर दोपहर 3:15 बजे कोडरमा पहुंचेगी, जबकि वापसी यात्रा शाम 4:45 बजे कोडरमा से शुरू होकर रात 2:45 बजे वैशाली लौटेगी।
बिहार के विकास की नई रफ्तार
विशेषज्ञों के अनुसार, यह छह लेन पुल और बुद्ध सर्किट ट्रेन न केवल सड़क और रेल कनेक्टिविटी को मजबूत करेंगे, बल्कि बिहार के आर्थिक विकास, धार्मिक पर्यटन और क्षेत्रीय व्यापार में भी नई ऊर्जा का संचार करेंगे।