कोटेश्वर महादेव दशहरा महोत्सव का भव्य आगाज, आयोजन की व्यवस्थाओं पर उठे सवाल

Deepak kumar

बिहार सरकार के कला, संस्कृति और युवा विभाग एवं गया जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय कोटेश्वर महादेव दशहरा महोत्सव का शुभारंभ बुधवार दोपहर बाद हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति संदीप कुमार, न्यायमूर्ति शशिभूषण प्रसाद सिंह, पूर्व लोकायुक्त न्यायमूर्ति श्यामकिशोर शर्मा, एडीएम परितोष कुमार, वरिष्ठ उपसमाहर्ता मनीष कुमार, और अपर समाहर्ता अनुग्रह नारायण सिंह ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर महोत्सव की शुरुआत की।

कोटेश्वर नाथ धाम की महिमा और अपील

उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति संदीप कुमार ने कोटेश्वर नाथ धाम की महिमा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह धाम न केवल बिहार बल्कि पूरे देश में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है। यहां का प्राचीन सहस्र शिवलिंग और दुर्लभ पीपल वृक्ष श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है। न्यायमूर्ति ने कोटेश्वर नाथ धाम की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का उल्लेख करते हुए कहा कि यह स्थान आम और खास, दोनों को अपनी ओर खींचता है।

आयोजन की तैयारियों पर नाराजगी

हालांकि, न्यायमूर्ति संदीप कुमार ने महोत्सव की तैयारियों पर नाराजगी जताते हुए कहा कि जिला प्रशासन द्वारा किए गए प्रबंधों में कई कमियां नजर आ रही हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले महोत्सव में इन खामियों को दूर किया जाएगा, जिससे आयोजन की गुणवत्ता में सुधार हो सके।

पूर्व लोकायुक्त का छलका दर्द

इस दौरान, पूर्व लोकायुक्त न्यायमूर्ति श्याम किशोर शर्मा ने भी कार्यक्रम में उपस्थित दर्शकों की कमी और आयोजन की व्यवस्थाओं पर कड़ा असंतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “पता नहीं गया जिला प्रशासन को कोटेश्वर नाथ धाम से क्या दुश्मनी है। जब बिहार सरकार महोत्सव के लिए पर्याप्त राशि उपलब्ध करा रही है, तो फिर आयोजन में इतनी खामियां क्यों दिख रही हैं?” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक समय था जब इस महोत्सव में भारी भीड़ होती थी, जिसे नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल की जरूरत पड़ती थी। लेकिन अब, आधी कुर्सियां खाली पड़ी हैं और उन पर सिर्फ सुरक्षा कर्मी बैठे हैं।

प्रशासन की विफलता पर सवाल

पूर्व लोकायुक्त के इस तीखे बयान ने गया जिला प्रशासन और संबंधित विभाग की विफलता को उजागर कर दिया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन प्रशासन की उदासीनता का प्रतीक है, जो एक ऐतिहासिक धाम के प्रति जिम्मेदारी निभाने में असफल हो रहा है।कार्यक्रम के दौरान उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति शशिभूषण प्रसाद सिंह, एडीएम परितोष कुमार और अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार साझा किए। मौके पर मंदिर न्यास कमिटी के अध्यक्ष झलकदेव शर्मा, उपाध्यक्ष किशोरी मोहन शर्मा, सचिव योगेंद्र शर्मा, मुखिया मनोज शर्मा, थानाध्यक्ष आलोक रंजन, और कई अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित रहे।

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