बोधगया से दीपक कुमार की रिपोर्ट | मगध लाइव न्यूज
बोधगया। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त महाबोधि महाविहार परिसर आज करुणा, भक्ति और वैश्विक बौद्ध एकता के अद्भुत संगम का साक्षी बना। 21वें इंटरनेशनल त्रिपिटक चैंटिंग समारोह के तहत अमेरिका से आए उपासक जोएल शिफ़्लीन ने भारत के विभिन्न विहारों के लिए 220 बुद्ध मूर्तियों का ऐतिहासिक दान कर एक अनुपम मिसाल प्रस्तुत की। भिक्खु संघ ने मंत्रोच्चारण और मेट्टा-प्रार्थनाओं के बीच इन मूर्तियों को स्वीकार किया। दान की इस पवित्र घड़ी में उपस्थित श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे।
सुबह 7 बजे—विनय पिटक पाठ की गूंज से अनुपम आध्यात्मिक वातावरण

भोर होते ही महाबोधि मंदिर परिसर में श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार, वियतनाम, कंबोडिया, लाओस, बांग्लादेश और भारत सहित विभिन्न देशों के 500 से अधिक भिक्खु-भिक्खुनियाँ एकत्र हुए। विनय पिटक की चुनिंदा गाथाओं के सामूहिक पाठ से पूरा परिसर भक्तिमय वातावरण में डूब गया। भिक्षुओं का मानना है कि — “ये वही अनुशासन सूत्र हैं जिन्हें भगवान बुद्ध ने संघ की पवित्रता और शील-सम्पन्न जीवन के लिए प्रतिपादित किया था।”
कुछ समय के लिए पूरा बोधगया मानो समाधि में स्थिर हो गया—न हवा की हलचल, न किसी पंछी की आवाज, बस बुद्ध-वचन की मधुर ध्वनि।
दोपहर—भिक्खु बोधि महाथेरो की प्रेरणादायी धम्म-देशना
अंतरराष्ट्रीय बौद्ध दार्शनिक भिक्खु बोधि महाथेरो (इंग्लैंड) ने अपने मार्मिक उपदेश में करुणा और दानशीलता को आज के दौर की सबसे बड़ी आवश्यकता बताया। उन्होंने कहा—
“मानवता तभी जागृत होती है जब हम दूसरों के दुख को अपना दुख मानने लगते हैं।”
उनकी शांत और गंभीर वाणी ने सैकड़ों श्रद्धालुओं को गहराई से प्रभावित किया।
शाम—लद्दाखी संस्कृति से झूम उठा कालचक्र मैदान

सांस्कृतिक एवं सम्मान समारोह के दौरान कालचक्र मैदान उत्साह और उल्लास से भर उठा। लद्दाख के पारंपरिक परिधानों में सजे कलाकारों ने ढोल-दमाऊ, बांसुरी और लोक-नृत्य की प्रस्तुति देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। “लेह-लेह चो, लद्दाख चो” गीत पर हजारों दर्शक थिरकने लगे। विदेशी पर्यटक हों या स्थानीय श्रद्धालु—हर कोई इस अनोखे सांस्कृतिक संगम का हिस्सा बनने से स्वयं को रोक नहीं सका।
भव्य स्वागत और सम्मान
लाइट ऑफ बुद्ध धम्म इंटरनेशनल सोसाइटी की अध्यक्ष भिक्खुनी वांग्मो डिक्से, रिचर्ड डिक्से, ITCC अध्यक्ष भंते संघसेन, भिक्खु प्रज्ञानंद, भिक्खु विनय रक्खिता महाथेरो सहित आयोजन समिति ने सभी वॉलंटियर्स, रसोइयों, दानदाताओं, कलाकारों और भिक्खु संघ को खादा और फूलमाला से सम्मानित किया। सेवा में जुटे इन लोगों को सम्मानित होते देख कई चेहरों पर भावनाओं की नमी झलक उठी।
कल होगा समापन—बोधगया के लिए ऐतिहासिक क्षण
12 दिसंबर 2025 को समारोह का भव्य समापन होगा। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में माननीय राज्यपाल, बिहार श्री आरिफ मोहम्मद खान , विशिष्ट अतिथि के रूप में जैन आचार्य लोकेश मुनि, ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की प्रमुख सिस्टर उषा बहन, महाराष्ट्र की पूर्व मंत्री सुलेखाताई कुंभारे सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहेंगे। तीनों आध्यात्मिक एवं सामाजिक हस्तियों का एक साथ उपस्थित होना इस आयोजन को ऐतिहासिक बना देगा।






