पूर्व मध्य रेल के डीडीयू मंडल मुख्यालय के जंक्शन से जहां मीडिया में खबरें आ रही है कि वहां अवैध वेंडर का बोलबाला है। वहीं इसी मंडल के गया जंक्शन पर कुछ ‘अपराध’ ऐसे हो रहे हैं जो सीधा रेल के राजस्व को प्रत्यक्ष घाटा होता दिखाई देता है। वहीं इस तरह के अपराध को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेवार विभाग के लोग आखिर क्यों नहीं इस बात को लेकर संजीदगी दिखाते हैं, यह बड़ा प्रश्न है। इन सबकी इनायतें के पीछे आखिर वजह क्या हो सकती है, ये कहने की जरूरत नहीं।
17 अगस्त को गया जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर 06 पर तीन चार लोगों के द्वारा बोरे में पैक कर हरी सब्जियां लाई जाती है। इसके बाद प्लेटफॉर्म नंबर 05 पर से सुबह 9 बजे खुलने वाली 63246 गया-पटना मेमू ट्रेन के यात्री बोगी में इन बोरे को लोड किया जाता है। न कोई वाणिज्य विभाग के और न ही रेलवे सुरक्षा बल के जवान वर्दी में नजर आते हैं। हां! आरपीएफ के एक-दो जवान सादे लिबास में खानपान के स्टॉल पर और प्लेटफॉर्म नजर आते हैं। जो एक व्यक्ति से बातें कर रहे थे। ट्रेन खुल चुकी होती है।

सवाल खड़े हो रहे हैं कि सब्जियों के पैकेज को प्लेटफॉर्म पर लाने वाले के पास क्या प्लेटफॉर्म पर आने के लिए पर्याप्त टिकट था? दूसरा कि ये माल जो ट्रेन से किसी भी स्टेशन के लिए लोड किया गया तो क्या पार्सल कार्यालय से इसे बुकिंग कराई गई थी? पैकेजों को देखने से पता चला कि इस पर पार्सल कार्यालय का कोई ‘मार्का’ नहीं दिया गया था तो यह सीधा अपराध है और रेल राजस्व को लूटने की खुली छूट दे दी गई है। तीसरा अपराध है कि रेलवे ट्रैक को अनधिकृत रूप से पास करना। लेकिन इन लोगों को न तो कोई रोकने वाले हैं और न तो टोकने वाले नजर आए।

इसके बाद ट्रेन खुलती है और एक यात्री चलती ट्रेन में स्टंट करते हुए नजर आया और कुछ लोग चलती ट्रेन में चढ़ते देखे गए तो सुरक्षित ट्रेनों के पास कराने वाले आरकोपीएफ के लोग कहां थे। जबकि इस ट्रेन के खुलने से पहले पटना से आई और रांची को जाने वाली जनशताब्दी एक्स. में कुछ पैकेज को पार्सल कार्यालय से बिना बुकिंग कराए लोड कर भेजा गया। इसके पहले 2 नंबर प्लेटफॉर्म से 12988 अजमेर-सियालदह एक्सप्रेस से भारी मात्रा में बिना बुकिंग कराए गए कई पैकेज लोड किए गए। सवाल है कि इस अवैध रूप से भेजे जाने वाले सब्जियों की जिम्मेवारी कौन ले रहे हैं। ये इनायतें, मेहरबानियां और खुली छूट आखिर क्यों और इसके लिए कौन जिम्मेदार हैं?
एक चीज को देखने को मिले कि जिस जगहों से ये माल लोड होते हैं वहां वहां सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे होते हैं। ताकि इसकी नजरों से बचे रहे। इसके बाद एक व्यक्ति जिसका नाम श्रीकृष्ण के अन्य दूसरे नाम से जाना जाता है, वो प्लेटफॉर्म पर नजर आता है जो खरखुरा मोहल्ले में रहता है। उससे इस रिपोर्टर की मुलाकात हो जाती है। जब उससे पूछा गया कि आज का दिन कैसा रहा तो उसने कहा-घर में कुछ लोग बीमार हैं इसलिए जल्दी जाना है। जब पूछा कि साहेब लोगों की मेहरबानी बनी हुई है न? तो कहा-हाँ, सभी की ‘कृपा’ से ‘सबकुछ’ ठीक ठाक चल रहा है।