
दिल्ली के सड़क हादसे में गया जी के तीन मासूम समेत चार लोगों की मौत हो गई। वहीं दस लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए। दिल्ली के सड़क हादसे का चीख गयाजी के इमामगंज के महादलित टोला में सुनाई पड़ी।
मिली जानकारी के मुताबिक गयाजी ज़िला के इमामगंज प्रखंड के ग्राम पंचायत झिकटिया के वार्ड नंबर 12 के महादलित गांव चपरी के रहने वाले थे। सभी मांझी समाज के लोग जो मंगलवार को दिल्ली जाने वाली बस से दिल्ली पहुंचे थे। जो बुधवार को दिल्ली निजामुद्दीन उतरकर सभी हरियाणा रेवाड़ी के लिए एक छोटा हाथी पिकअप से मज़दूरी करने जा रहे थे। जो द्वारका सेक्टर 23 के पास पिकअप का टायर फट गया और पिकअप पलट गया। जिसमें करीब 30 मज़दूर सवार थे। जिसमें एक वयस्क मजदूर के साथ तीन बच्चे की मृत्यु हो गई और 10 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए।
मृतक मजदूर की पहचान बिहार राज्य के गया ज़िला के इमामगंज प्रखंड के ग्राम पंचायत झिकटिया के चपरी गांव के (1) रणजीत कुमार पिता फेकू माँझी उम्र करीब 26 वर्ष इसके अलावा तीन बच्चे हैं। (2) लक्ष्मीनिया कुमारी पिता रणजीत भारती (3) शीशम कुमारी पिता राजेश भारती उम्र करीब 7 वर्ष। (4) गौरव कुमार पिता संजय माँझी उम्र 7 वर्ष है। सड़क हादसे में एक वयस्क और तीन बच्चे की मौत हुई है। सभी लोग एक बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन में मज़दूरी के लिए हरियाणा रेवाड़ी करीब 30 मजदूर पूरे परिवार के साथ जा रहे थे। बुधवार को दिल्ली द्वारका सेक्टर 23 इलाके में छोटा हाथी पलटने से एक मजदूर रंजीत भारती समेत तीन बच्चे की मौत हो गई। जिसमें करीब दो दर्जन मजदूर घायल हो गए। बताया जा रहा है कि छोटा हाथी पिकअप का टायर फटने से यह घटना घटी है। इस तरह की सूचना मिलते ही चपरी महादलित गांव में कोहराम मच गया। पूरा गांव में मातम सा छा गया।
वहीं इस घटना पर बिहार सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री संतोष कुमार सुमन ने गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि इसकी जानकारी हमलोगों को सुबह में मिल गई थी। हमलोगों के स्तर से जितनी भी कोशिश करना है। जो भी घायल है और जो बचे हुए है, उन लोगों को अपने आवास पर बुलाया गया है। उनका व्यवस्था की जा रही है। यह एक दुःखद घटना हुई है, जिनकी मौत हुई है। हम कोशिश कर रहे है कि उनको भी यहां भेजवा देने काम करेंगे। वहीं उन्होंने कहा कि पलायन बिहार की एक समस्या है, लेकिन हमलोग बहुत कोशिश कर रहे है कि जिस तरह से रोजगार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 32 लाख लोगों को रोजगार और 10 लाख लोगों को नौकरी दे चुके है।
धीरे धीरे औधोगिक क्रांति आने वाली है और उद्योग धंधे खुल रहे है तो निश्चित तौर पर उनको रोजगार मिलेगा और काम मिलेगा। तब बाहर नही जाएंगे। बाकी ये दुःखद घटना है, कुछ लोग बरगलाकर भी ले जाते है। हमारे भोले भाले लोगों को और वहां खूब दिन रात काम करवाते है तो एक तरह से बंधुआ मजदूरी है। ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। ऐसे लोगों को हमलोग भी चिन्हित कर के हम चाहेंगे कि शासन प्रशासन उन पर ध्यान दे। ताकि लोगों को ऐसे नही ले जाया करें। क्योंकि काम ज्यादा करवाते है और पैसा कम देते है। बिहार में ही सारा व्यवस्था है, खेतो में काम करेंगे तो इससे ज्यादा कमा लेंगे। और भी ज्यादा जगह काम करेंगे तो कमा लेंगे। लेकिन, यह समस्या बनी हुई है।