मगध अपडेट बिहार राजनीति क्राइम शिक्षा खेल नौकरी धर्म

जहां कभी नक्सलियों की बंदूकें गरजती थीं, वहां अब शांति और तरक्की का परचम, लाल आतंक की धरती पर अब विकास की नई इबारत

On: Thursday, December 19, 2024 12:26 PM

रिपोर्ट: दिवाकर मिश्रा ,डुमरिया संवाददाता

गया जिले का डुमरिया प्रखंड, जिसे कभी “काला पानी” के नाम से जाना जाता था, अब विकास और शांति की नई मिसाल बन गया है। यह इलाका कभी नक्सलियों की क्रूरता और लाल आतंक का गढ़ था, जहां जन अदालतों में खुलेआम सजा-ए-मौत सुनाई जाती थी और नक्सली बंदूकों की आवाज़ें आम थीं। लेकिन अब, यहां विकास की रोशनी फैल रही है, और इलाके ने अपनी पहचान बदल ली है।

लाल आतंक का खौफनाक दौर

1990 और 2000 के दशक में डुमरिया, इमामगंज, बांके बाजार जैसे इलाकों में नक्सलियों का समानांतर शासन चलता था। लाल झंडे के नाम पर जमींदारों की जमीनों पर कब्जा किया जाता था। 2009 में नारायणपुर के मुखिया छोटे खां के घर को डाइनामाइट से उड़ा देना, मध्य विद्यालय और मोबाइल टावरों पर बम विस्फोट, और बसों को जलाकर राख करना नक्सली क्रूरता के भयानक उदाहरण थे। तीन दर्जन से ज्यादा हत्याएं, अपहरण और जबरन वसूली के कारण यह इलाका खून से लाल हो गया था।

शांति की बहाली: जवानों की तैनाती और विकास की शुरुआत

समय बदला और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और कोबरा बटालियन की तैनाती ने इस इलाके की तस्वीर बदल दी। सड़कों, पुलों और संचार सुविधाओं का निर्माण हुआ। सुरक्षा बलों ने न केवल नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाया, बल्कि जनता का विश्वास जीतने के लिए सोलर लाइट, रेडियो, कपड़े, पानी और दवाइयों की भी व्यवस्था की।

पुलिस और जनता के बीच संबंध सुधारने के लिए “पुलिस-पब्लिक रिलेशन” कार्यक्रम शुरू किए गए। नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए पुनर्वास योजनाएं चलाई गईं, जिनके तहत उन्हें आर्थिक सहायता और रोजगार प्रदान किए गए। कई नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया और जंगलों में चलाए गए अभियानों में कई बड़े नक्सली नेता मारे गए।

विकास से मिली नई पहचान

आज, डुमरिया में थाना, पुस्तकालय और पंचायत भवन जैसी सुविधाएं हैं, जो विकास की कहानी बयां करती हैं। शिक्षा, संचार और बुनियादी ढांचे के विकास ने इलाके को नई पहचान दी है। आम जनता का विश्वास सुरक्षा बलों पर बढ़ा है, और नक्सलियों की कमर टूट चुकी है। डुमरिया का यह बदलाव न केवल गया जिले बल्कि पूरे बिहार के लिए एक प्रेरणा है। जहां कभी लाल सलाम और गोलियों की गूंज थी, अब वहां विकास और शांति का संदेश है।

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

Leave a Comment

📰 Latest:
कोलकाता में सम्मानित हुए गया के वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट रूपक सिन्हा, फोटोग्राफी में 40 वर्षों के उत्कृष्ट योगदान के लिए मिला विशेष सम्मान | मीडिया की अमानवीयता: धर्मेंद्र की मौत की फर्जी खबर फैलाकर शर्मसार हुआ भारतीय मीडिया, हेमा मालिनी ने लगाई लताड़ | गया में सुरक्षा बलों का सर्च ऑपरेशन, नक्सलियों के ठिकाने से देशी कट्टा और 16 कारतूस मिले | टिकारी विधानसभा के 415 मतदान केंद्रों पर पहुंची पोलिंग पार्टियां, कड़ी सुरक्षा में कल सुबह 7 बजे से शुरू होगा मतदान | मतदान की तैयारी पूरी, टिकारी विधानसभा के 415 बूथों पर होगी मतदान | विरोध से श्रद्धा तक: हरियाणा की खाप पंचायतों ने संत रामपाल जी महाराज को दिया ‘मानवता रक्षक’ और ‘किसान रक्षक’ सम्मान | ब्रेकिंग न्यूज: गया में तेज रफ्तार हाईवा ने ली एक युवक की जान, दूसरा अस्पताल में भर्ती | राष्ट्रगीत “वन्दे मातरम्” के 150 वर्ष पूरे: बोधगया में एनसीसी कैडेट्स ने रचा देशभक्ति का अनोखा संगम | दूसरे चरण के मतदान को लेकर बढ़ाई गई चौकसी, गया पुलिस ने नक्सलियों के ठिकाने से देशी कट्टा व वायर किया बरामद | बिहार चुनाव से पहले महागठबंधन ने जारी किया “तेजस्वी प्रण”, हर परिवार को 200 यूनिट फ्री बिजली और ₹500 में गैस सिलेंडर देने का वादा |