Report By: Deobarat Mandal
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गया नगर निगम के वैसे अभियंताओं के लिए बुरी खबर है कि जो लाखों रुपए एडवांस लेकर बैठे हुए हैं और रिटायर करने के बाद फिर से गया नगर निगम में संविदा पर सेवा देने के लिए इच्छुक हैं। ऐसे इंजीनियर के लिए उनकी यह इच्छा गले की हड्डी बन गई है।
ऐसा ही कुछ होना है देवनंदन प्रसाद के साथ। जो 31 जनवरी 2025 को रिटायर करने से पहले पुनः सेवा की इच्छा जताई थी। सशक्त स्थायी समिति और निगम बोर्ड ने इनकी इच्छा पर मुहर लगा दी थी लेकिन एक पार्षद के कारण देवनंदन प्रसाद की यह इच्छा अधूरी रह गई है। ऊपर से देवनंदन प्रसाद के विरुद्ध उचित कार्रवाई करने का अनुरोध नगर विकास एवं विकास विभाग( सरकार) ने किया है।
दरअसल, देवनंदन प्रसाद जबतक सेवा में रहे तब तक इन्हें नगर निगम की विभिन्न योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए 56 लाख 56 हजार 500 रुपये बतौर अग्रिम दिया गया था लेकिन इस राशि का समायोजन रिटायरमेंट तक नहीं कर सके।
नगर निगम के वार्ड नं 32 के पार्षद गजेंद्र सिंह ने अभियंता देवनंदन प्रसाद से संविदा पर पुनः सेवा लेने का बोर्ड की बैठक में विरोध किया। साथ ही सरकार को पत्र लिखकर इस बात का विरोध किया कि जब तक अग्रिम राशि के रूप में देवनंदन प्रसाद द्वारा ली गई अग्रिम राशि का समायोजन नहीं किया जाता है, तबतक संविदा पर इनसे सेवा नहीं लिया जा सकता है। यहां तक इनका वेतन बंद करने की मांग की भी मांग की गई थी।
बात सरकार तक पहुंची तो अब देवनंदन प्रसाद की इच्छा इनके लिए ही गले की हड्डी बन गई है।
नगर विकास एवं आवास विभाग के अवर सचिव राशिद इक़बाल ने गया नगर आयुक्त कुमार अनुराग को एक पत्र लिखकर कहा है कि वार्ड पार्षद श्री सिंह द्वारा दिए गए अभ्यावेदन के आलोक में ऐसे अभियंताओं के विरुद्ध नियमानुकूल कार्रवाई की जाए।
बता दें कि सेवानिवृत्त अभियंता शैलेन्द्र सिन्हा भी कुछ इसी तरह के मामले में फंसे हुए हैं। अब देखना होगा कि ऐसे अभियंताओं से अग्रिम राशि नगर आयुक्त कैसे वसूल करते हैं और नियमानुकूल कैसी कार्रवाई करते हैं।