✍️देवब्रत मंडल
गया जिले के खिजरसराय थाना क्षेत्र के एक बागीचे में कोई मजबूर मां ने नवजात बच्ची को रख दी थीं। इस बच्ची को ‘परित्यक्त’ नाम मिला। मां की मजबूरियां क्या रही होगी, इसके बारे में कहना उचित नहीं, लेकिन इस नवजात बच्ची को नवजीवन मिल गया।
ऐसी घटना गया जिले के लिए पहली नहीं है कि नवजात शिशु को परित्यक्त का नाम मिला है। ऐसे शिशुओं के बारे में जैसे ही जानकारी चाइल्ड हेल्फ लाइन को मिलती है तो एक पल गंवाएं बिना इस संस्था के कार्यकर्ता उस स्थान पर पहुंच जाती है और शिशु को यथासंभव नवजीवन प्रदान करने के लिए जुट जाती है।
ऐसा ही एक मामला गया जिले के खिजरसराय थाना क्षेत्र से जुड़ा सामने आया है। 16 अगस्त को इस थाना क्षेत्र के एक बागीचे से चाइल्ड हेल्फ लाइन, गया के कर्मी को एक नवजात बच्ची को प्राप्त करते हैं। इसके बाद नवजात बच्ची को गया के प्रभावती अस्पताल में जीवन रक्षा के लिए भर्ती कराया जाता है।
ईलाज के बाद स्वस्थ हो चुकी नवजात बच्ची के बारे इस अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा बाल संरक्षण इकाई के निदेशक अविनाश कुमार को सूचना दी जाती है। इसके बाद 21 अगस्त को यहां से डिस्चार्ज किया जाता है। चाइल्ड हेल्फ लाइन, गया के समन्वयक अमित पाठक आगे की कार्यवाही शुरू करते हैं।
श्री पाठक ने बताया कि नवजात बच्ची को प्राप्त करने के बाद बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया। समिति के अध्यक्ष के आदेश पर नवजात बच्ची को विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान में देखरेख करने के लिए सुपुर्द कर दिया गया।
चाइल्ड हेल्फ लाइन ने आमजनों से अनुरोध किया है कि ‘ऐसे बच्चों’ को फेंके नहीं। बल्कि इसकी सूचना 1098 नंबर पर डायल कर सूचना दें। उनकी टीम फौरन ही अग्रेतर कार्रवाई करते हुए नवजात को प्राप्त कर उसे नया जीवन और एक नाम देते हुए किसी निःसंतान दंपति को आवश्यक प्रक्रिया पूरी कराते हुए उनकी सुनी गोद को भरने में मदद करेगी।