कायस्थ समाज के आराध्य देव की आराधना में डूबा गया शहर, बच्चों की प्रस्तुतियों ने बांधा समां
गया। रविवार का दिन गया शहर के कायस्थ समाज के लिए आस्था, अपनत्व और उल्लास का प्रतीक बन गया। भगवान चित्रगुप्त जी महाराज के पूजनोत्सव के अवसर पर शहर के विभिन्न इलाकों में भक्तिभाव से कार्यक्रम आयोजित किए गए। पूजा पंडालों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी, हर ओर भक्ति गीतों की मधुर ध्वनि और दीपों की रौशनी से वातावरण आलोकित था।
गेवालबीघा चित्रगुप्त पूजा समिति द्वारा इस वर्ष भी विशेष थीम पर आधारित आकर्षक सजावट की गई थी। इस थीम में कायस्थ समाज के महापुरुषों के जीवन, उनके विचार और समाज के प्रति उनके योगदान की जीवंत झलकियां प्रदर्शित की गईं। समिति के संयोजक युगेश सिन्हा ने बताया — “हमारा यह प्रयास रहता है कि समाज के वे महापुरुष, जिन्होंने अपनी विद्या और कर्म से समाज को दिशा दी, उन्हें नई पीढ़ी पहचान सके और उनसे प्रेरणा ले।”
पूजनोत्सव के बाद सामूहिक भोज का आयोजन हुआ, जिसमें समाज के लोग एक साथ बैठकर प्रसाद ग्रहण करते दिखे। यह केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और अपनेपन का प्रतीक बन गया, जहाँ एक-दूसरे के सुख-दुःख में साथ देने की भावना झलकी।

वहीं पंत नगर, मधुसूदन मंदिर, और गया चित्रगुप्त पूजा समिति की ओर से आयोजित सांस्कृतिक संध्या में बच्चों की प्रतिभा ने सभी का दिल जीत लिया। मंच पर एक के बाद एक प्रस्तुतियों ने वातावरण को जीवंत कर दिया — किसी ने नृत्य से मन मोह लिया तो किसी की कविता ने भावनाओं को झकझोर दिया।
लड़कों में आयुष आशीष, रिशु राज और नीरज सौरभ ने अपनी शानदार प्रस्तुतियों से तालियां बटोरीं, जबकि लड़कियों में सृष्टि, आराध्या राज, सोनाक्षी, तृषा आशीष, वैष्णवी ईशा, आद्या, दिव्या, सौम्या, प्रिषा, ऋषिका, लक्ष्मी, नेहा, दिव्याश्री, ऐश्वरी, मधुप्रिया, रुद्राक्षी, शिवान्या, आराध्या सुमन, इशिका और आराध्या श्री ने अपनी मनमोहक प्रस्तुतियों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
बच्चों की हर प्रस्तुति पर तालियों की गूंज ने माहौल को जीवंत कर दिया। अभिभावक, माता-पिता और शुभचिंतक अपने बच्चों की उपलब्धियों पर गर्व से झूम उठे। समूचा दिन भक्ति, उत्सव और सामाजिक एकजुटता की भावना से सराबोर रहा।






