गया। फेयर प्राइस डीलर्स एसोसिएशन, गया द्वारा गांधी मंडप में एक अहम बैठक आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता जिला अध्यक्ष महेंद्र कुमार सिंह ने की, जबकि संचालन जिला महामंत्री डॉ. विजय कुमार यादव ने किया। बैठक में जिले भर से सैकड़ों जन वितरण विक्रेताओं ने भाग लिया और राज्य सरकार की उदासीनता के खिलाफ सामूहिक संघर्ष का आह्वान किया।
बैठक में वक्ताओं ने आरोप लगाया कि नीतीश सरकार जन वितरण प्रणाली के विक्रेताओं की वर्षों से लंबित आठ सूत्रीय मांगों की अनदेखी कर रही है। जिला अध्यक्ष महेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि सरकार की असंवेदनशीलता के कारण विक्रेताओं को भारी आर्थिक और मानसिक संकट झेलना पड़ रहा है।
🔷 बैठक में लिए गए प्रमुख निर्णय:
- 12 अगस्त 2025 को जिला स्तर पर धरना प्रदर्शन:
जिला पदाधिकारी कार्यालय के समक्ष एक दिवसीय धरना दिया जाएगा और मुख्यमंत्री के नाम आठ सूत्रीय मांग पत्र सौंपा जाएगा। - जन आक्रोश यात्रा का आयोजन:
गया जिले के सभी प्रखंडों में राज्य सरकार की नीति के खिलाफ जन आक्रोश यात्राएं निकाली जाएंगी। - पोस मशीन बंद करने की चेतावनी:
यदि सरकार 28 अगस्त 2025 तक मांगों को पूरा नहीं करती और बकाया मार्जिन मनी का भुगतान नहीं करती है, तो 1 सितंबर से जिले के सभी विक्रेता अपनी-अपनी पोस मशीन बंद कर संपूर्ण वितरण व्यवस्था ठप कर देंगे। - जिले में सदस्यता अभियान की शुरुआत:
संगठन को और अधिक सशक्त बनाने हेतु पूरे जिले में सदस्यता अभियान चलाया जाएगा। - वेइंग मशीन नहीं लगाने का सामूहिक निर्णय:
जब तक सरकार विक्रेताओं की मांगें पूरी नहीं करती, तब तक कोई भी विक्रेता अपनी दुकान पर वेइंग मशीन नहीं लगाएगा।
📌 विक्रेताओं की आठ सूत्रीय मांगें:
- जन वितरण विक्रेताओं को ₹30,000 मासिक मानदेय और ₹300 प्रति कुंटल कमीशन की व्यवस्था की जाए।
- अनुकंपा नियुक्ति में 58 वर्ष की अधिकतम आयु सीमा को समाप्त किया जाए।
- आठ माह से लंबित मार्जिन मनी और कमीशन का शीघ्र भुगतान किया जाए।
- अगस्त और सितंबर 2025 के लिए 100% लाभुकों को वितरण हेतु अतिरिक्त खाद्यान्न आवंटित किया जाए।
- केंद्र सरकार के आदेशानुसार स्टॉक और वितरण रजिस्टर लिखने की अनिवार्यता समाप्त की जाए।
- अनुज्ञप्ति में नॉमिनी को साझेदार बनाने की सुविधा दी जाए।
- विक्रेताओं को नया पोस मशीन निःशुल्क प्रदान किया जाए या मरम्मत शुल्क वसूलना बंद किया जाए।
- माप-तौल अनुज्ञप्ति के नवीकरण की समय-सीमा एक वर्ष से बढ़ाकर पांच वर्ष की जाए।
बैठक के अंत में सभी विक्रेताओं ने एकजुट होकर संगठन को मजबूत करने और सरकार के उपेक्षात्मक रवैये के खिलाफ निर्णायक संघर्ष का संकल्प लिया।
यह आंदोलन आने वाले दिनों में गया सहित राज्य स्तर पर जन वितरण प्रणाली में उत्पन्न संकट को लेकर गंभीर रूप ले सकता है।