रिपोर्ट: देवब्रत मंडल
गया जी: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए जहां प्रशासनिक स्तर से तैयारियां चल रही है, वहीं इस चुनाव में उम्मीदवारों ने अपना मन बना लिया है कि चुनाव लड़ना है तो लड़ना है। चाहे पार्टी टिकट दे या फिर नहीं दे, चुनाव हर हाल में लड़ेंगे।
बात, गया जिले के 230 गया शहरी विधानसभा क्षेत्र की है। नवंबर में चुनाव संभावित है। इस सीट पर 35 सालों से भाजपा का कब्जा है। इस सीट पर भाजपा के वरिष्ठ नेता मंत्री डॉ. प्रेम कुमार लगातार जीतते हुए आ रहे हैं। इस सीट पर कभी कांग्रेस का कब्जा हुआ करता था। स्व. जय कुमार पालित कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतते रहे थे।
बिहार में एनडीए की सरकार है। इस गठबंधन में यह सीट भाजपा के खाते में है। जिसके घटक दल जदयू, लोजपा, हम(से.) जैसी पार्टियां शामिल हैं। ऐसे में इस बार यह सीट किस दल के खाते में जाती है, ये अभी तय नहीं हो पाया है। बदलाव होगा या वही पुराने पैटर्न पर यह सीट भाजपा के ही हिस्से में रहेगी। इसका फैसला होना बाकी है।
बहरहाल, हम बात कर रहे हैं जदयू के समर्पित नेता लालजी प्रसाद के बारे में। जिन्होंने पिछले दिनों जदयू के सबसे बड़े और सर्वमान्य नेता बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक पत्र लिखकर गया शहरी विस सीट से जदयू को चुनाव लड़ने का आग्रह करते हुए इस सीट पर खुद को उम्मीदवार बनाने की मांग कर चुके हैं।
दो दिन पहले सिंगापुर से लौटे जदयू नेता लालजी प्रसाद ने ‘मगध लाइव’ से एक खास मुलाकात में कहा कि इस बार चुनाव लड़ने का इरादा कर लिया है। अपनी बात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक पहुंचा दिया है। यदि पार्टी टिकट नहीं भी देती है तो चुनाव अवश्य लड़ूंगा। इसके पीछे का कारण पूछे जाने पर श्री प्रसाद ने कहा-गया जी शहर के कई प्रबुद्धजनों, समर्थकों, विभिन्न सामाजिक, जातीय संगठन के लोगों ने चुनाव में हर प्रकार से मदद करने का भरोसा दिलाया है, उन्हीं सभी के भरोसे को लेकर चुनाव मैदान में उतरने का मन में निश्चय कर लिया है।
आगे श्री प्रसाद ने एक बड़ी बात कह दी कि इस विधानसभा क्षेत्र की जनता एक ही नेता का चेहरा देखते हुए आ रही है और अब वही बदलाव चाहते हैं तो ऐसे में उन्होंने अपनी दावेदारी पेश कर दी है।
कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए आ रहे पूर्व डिप्टी मेयर अखौरी ओंकारनाथ उर्फ मोहन श्रीवास्तव के बारे में इस बार फिर चुनाव लड़ने के सवाल पर जदयू नेता लालजी प्रसाद ने कहा कि यदि पार्टी(जदयू) हमें टिकट दे देती है तो एनडीए गठबंधन की जीत सुनिश्चित है। यदि पार्टी नहीं देती है तो भाजपा यदि कैंडिडेट बदल देती है तो इसका सीधा फायदा महागठबंधन को मिल सकता है और यदि भाजपा कैंडिडेट नहीं बदलती है तो उस परिस्थितियों में भी महागठबंधन को ही फायदा होगा।
लालजी प्रसाद का कहना है कि उन्होंने कभी पार्टी नहीं बदला। हां दलितों, अकलियतों, गरीबों एवं मजदूर वर्गों के लोगों की हितों का ख्याल रखने के इरादे से स्व. रामबिलास पासवान की पार्टी से जुड़कर काम किया है। आज जदयू इसी विचारधारा के साथ सामाजिक न्याय कर रही है। एनडीए की सरकार के संकल्पों को पूरा करने के इरादे से ही इस बार चुनाव लड़ने का निश्चय कर लिया हूं।