गया। बिहार के गया जिले के सिंधुगढ़ थाना क्षेत्र के लंगूरा कलां गांव में शनिवार देर रात पुलिस की एक छापेमारी ने पूरे इलाके को सोचने पर मजबूर कर दिया है। पुलिस ने गांव के निवासी विजय साव केशरी को उनके घर से एक देशी कट्टा बरामद करने का दावा करते हुए गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, परिवार और ग्रामीणों का आरोप है कि यह कार्रवाई जल्दबाजी में की गई और इसमें साजिश की बू आ रही है। पुलिस की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए ग्रामीणों ने कहा कि विजय साव एक नेक और निर्दोष व्यक्ति हैं, जिन्हें फंसाया जा रहा है। इस घटना ने आगामी विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर चल रही पुलिस की ‘सक्रिय पुलिसिंग’ पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

विजय साव के परिजन और ग्रामीणों के अनुसार घटना की शुरुआत शनिवार रात करीब 12-1 बजे हुई, जब सिंधुगढ़ थाना की पुलिस, डायल 112 की टीम और सीआईएसएफ के जवान गांव पहुंचे। पुलिस की प्रेस रिलीज के मुताबिक, थानाध्यक्ष नीलेश कुमार को गुप्त सूचना मिली थी कि लंगूरा कलां में एक व्यक्ति अपने घर में अवैध हथियार रखे हुए है। रिलीज में दावा किया गया है कि पुलिस को देखकर संदिग्ध व्यक्ति भागने लगा, जिसे सशस्त्र बलों की मदद से पकड़ा गया। पूछताछ में उसने अपना नाम विजय साह (पिता स्वर्गीय रामेश्वर साह केसरी, निवासी लंगूरा कलां) बताया। इसके बाद घर की तलाशी में आंगन में बने घरौंदा से एक देशी कट्टा बरामद किया गया। पुलिस ने इस कार्रवाई को ‘त्वरित और प्रभावी’ बताते हुए कहा कि इससे अपराधियों का मनोबल टूटेगा और क्षेत्र में अपराध पर अंकुश लगेगा। गिरफ्तार व्यक्ति से पूछताछ जारी है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि वह किसी गिरोह से जुड़ा है या नहीं। इस मामले में सिंधुगढ़ थाना में कांड संख्या 122/25 दर्ज किया गया है।

लेकिन घटना के चश्मदीदों और परिवार की कहानी पुलिस की रिलीज से बिल्कुल अलग है। विजय साव की पत्नी गुड़िया देवी ने हमारे संवाददाता को बताया कि रात के समय पूरा परिवार एक कमरे में बच्चों के साथ सो रहा था। पुलिस ने दरवाजा खुलवाया और घर में घुसकर सभी सामान को बिखेर दिया। “हम पूछते रहे कि सर, क्या खोज रहे हैं? क्या हुआ है? लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं बताया। वे बक्से खोलकर जांच करने लगे,” गुड़िया देवी ने कहा। उन्होंने आगे बताया कि पुलिस ने घर के पीछे बने लोहे के ग्रिल वाले दरवाजे को खुलवाया और उन्हें दूसरे कमरे में उलझाए रखा। इसी बीच, पुलिस ने घर के पिछले हिस्से में जाकर आवाज दी कि ‘जिसे ढूंढ रहे थे, वो मिल गया’। गुड़िया देवी के अनुसार, यह पिछला हिस्सा करीब 4 फीट ऊंची बाउंड्री वॉल से घिरा है, जहां बच्चों ने दीवाली के लिए घरौंदा बनाया था। परिवार कुछ सब्जियां भी वहां उगा रखा है, और इस हिस्से तक किसी बाहरी व्यक्ति का पहुंचना आसान है। “जब मैं पीछे पहुंची तो हैरान रह गई। पुलिस ने घरौंदा से हथियार निकालने का दावा किया, लेकिन हम लाख सफाई देते रहे कि यह हमारा नहीं है। पुलिस ने एक न सुनी और मेरे पति को पकड़कर थाने ले गई,” गुड़िया देवी ने रोते हुए कहा।

विजय साव के पड़ोसी, एक महिला ने भी पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि पुलिस ने मुख्य दरवाजा खुलवाए बिना घर से सटे निर्माणाधीन मकान की छत से घर के अंदर घुसकर छापेमारी शुरू की। पड़ोसी ने कहा “यह किस तरह की विधिवत तलाशी है? पुलिस बिना बताए घर में घुसी और सामान तितर-बितर कर दिया। विजय साव तो भागे ही नहीं, वे घर में सो रहे थे,”। मौके पर जमा सैकड़ों ग्रामीणों ने एक स्वर में विजय साव को नेक और निर्दोष बताया। एक ग्रामीण ने कहा, “विजय साव गांव का सम्मानित व्यक्ति है। उसे साजिश से फंसाया जा रहा है। पुलिस ने बिना ठोस जांच के जेल भेज दिया। पिछला हिस्सा खुला है, कोई भी वहां हथियार फेंक सकता था।”

पुलिस की प्रेस रिलीज में हथियार को ‘आंगन में बने घरौंदा’ से बरामद बताया गया है, जबकि परिवार का कहना है कि घरौंदा घर के पीछे के हिस्से में है, जो बाहरी व्यक्ति आसानी से आ जा सकता है। यह विरोधाभास पुलिस की जांच की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है। हमारे संवाददाता ने सिंधुगढ़ थाना अध्यक्ष नीलेश कुमार से बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने कहा, “मैं इस मामले में मीडिया को बयान देने के लिए अधिकृत नहीं हूं।” इससे पुलिस की पारदर्शिता पर और संदेह गहरा होता है।
ग्रामीणों का मानना है कि आगामी चुनाव के नाम पर पुलिस जल्दबाजी में कार्रवाई कर रही है, जिससे निर्दोष लोग फंस सकते हैं। परिवार ने बताया कि वे वरीय पुलिस अधीक्षक से मिलकर मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करेंगे। इस घटना ने इलाके में पुलिस के खिलाफ आक्रोश पैदा कर दिया है, और सवाल उठ रहा है कि क्या ‘सक्रिय पुलिसिंग’ के नाम पर निर्दोषों को निशाना बनाया जा रहा है? पुलिस की ओर से अभी तक कोई अतिरिक्त स्पष्टीकरण नहीं आया है, जबकि गिरफ्तार व्यक्ति को रविवार को जेल भेज दिया गया है।