देवब्रत मंडल
जापान के संगठन निहोन हिदांक्यो को 2024 के नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार उन्हें दुनिया में परमाणु हथियारों के खिलाफ चलाए जा रहे उनके प्रयासों के लिए दिया गया है। नोबेल समिति ने कहा कि परमाणु हमलों के पीड़ितों की गवाही और उनके अनुभव नई पीढ़ियों को यह याद दिलाते रहेंगे कि परमाणु हथियार मानवता के लिए कितने खतरनाक हैं।
क्यों मिला निहोन हिदांक्यो को यह सम्मान?
निहोन हिदांक्यो में वे लोग शामिल हैं, जिन्हें ‘हिबाकुशा’ कहा जाता है—यानी वे लोग जो हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु हमलों में जीवित बचे थे। नोबेल समिति ने कहा, “इस संगठन ने परमाणु हथियारों के खतरे को उजागर करने और एक परमाणु-मुक्त दुनिया के निर्माण के लिए अपार प्रयास किए हैं। उनकी गवाही से यह साबित होता है कि परमाणु हथियारों का फिर कभी उपयोग नहीं होना चाहिए।
हिरोशिमा और नागासाकी: इतिहास के सबसे भयानक परमाणु हमले
6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर पहला परमाणु बम गिराया था। यह बम इतना घातक था कि इसने आसपास का तापमान 4,000 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा दिया और पूरा शहर तबाह हो गया। इस हमले में करीब 70,000 लोगों की जान गई थी। इसके तीन दिन बाद, अमेरिका ने नागासाकी पर दूसरा बम ‘फैट मैन’ गिराया, जिसमें 40,000 से ज्यादा लोग मारे गए।
नोबेल शांति पुरस्कार: एक नज़र
नोबेल शांति पुरस्कार की शुरुआत 1901 में हुई थी। अब तक यह पुरस्कार 112 व्यक्तियों और 31 संस्थाओं को दिया जा चुका है। भारत से केवल दो लोगों को यह सम्मान मिला है—मदर टेरेसा को 1979 में सामाजिक सेवा के लिए और कैलाश सत्यार्थी को 2018 में अनाथ बच्चों की शिक्षा के कार्य के लिए।हालांकि, महात्मा गांधी को 5 बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया, लेकिन उन्हें यह पुरस्कार कभी नहीं मिला।