देवब्रत मंडल
एक इंजीनियर साहेब का निगम से इतना लगाव हो गया है कि रिटायरमेंट के बाद भी सेवा करने की इच्छा जताई है। यानी कि निगम से मोहभंग नहीं हो रहा है। हालांकि इंजीनियर साहेब अभी रिटायर नहीं हुए हैं लेकिन बहुत कम समय ही सेवा शेष बचे हैं।
निगम के पदेन अध्यक्ष जी के पास खुद इंजीनियर साहेब ने रिटायरमेंट के बाद संविदा पर पुनः कार्य करने की इच्छा जताई है। अध्यक्ष जी की भी इच्छा है कि इंजीनियर साहेब को पुनः सेवा में रख लिया जाए। पिछले दिन निगम की हुई महत्वपूर्ण बैठक में इस आशय के प्रस्ताव पर चर्चा भी हो गई है। जो कि पूर्व से तय एजेंडे में नहीं था बल्कि अन्यान्य की सूची में शामिल करते हुए इस पर विचार किया गया है।
जिस इंजीनियर साहेब को रिटायरमेंट के बाद संविदा पर पुनः उनसे सेवा लेने की बात है तो इंजीनियर साहेब पर कई ‘दाग’ लगे हैं।
मसलन एक करोड़ रुपये से अधिक की अग्रिम राशि का समायोजन नहीं कर पाना। सहायक अभियंता से कनीय अभियंता बनाना। पूर्व कार्यपालक पदाधिकारी(भाप्रसे) द्वारा निलंबित किया जाना। बार बार राशि समायोजन के लिए स्मारित कराए जाने के बाद भी विभाग को उसका जवाब नहीं दे पाना आदि कई ऐसे ‘दाग धब्बे’ लगे हैं।
इतने दाग लगे रहने के बाद भी फिर से निगम में रिटायरमेंट के बाद सेवा करने की इच्छा जताना चाहने वाले इंजीनियर साहेब का मोहभंग नहीं होना, कुछ न कुछ इशारा करता है।
बहरहाल, इस पर अंतिम मुहर लगता है या नहीं, ये तो आने वाले कुछ दिनों में पता चलेगा। इंजीनियर साहेब पहले रिटायर तो हो जाएं। इसके बाद ही उनकी इच्छा पर सरकार क्या निर्णय लेती है यह तो भविष्य के गर्त में है लेकिन इसकी चर्चा काफी हो रही है कि आखिर क्या बात है कि इंजीनियर साहेब का मोहभंग क्यों नहीं हो सका है?