मगध लाइव, बोधगया। भगवान बुद्ध की ज्ञानभूमि बोधगया इन दिनों ऐतिहासिक आध्यात्मिक उत्सव की साक्षी बन रही है। महाबोधि मंदिर परिसर में मंगलवार से शुरू हुई 20वीं अंतरराष्ट्रीय त्रिपिटक पूजा ने शहर को वैश्विक बौद्ध संस्कृति के रंग में रंग दिया है। 10 दिनों तक चलने वाले इस पूजन समारोह में दुनिया के 27 देशों से आए 20 हजार से अधिक भिक्षु-भिक्षुणी हिस्सा ले रहे हैं। विशेष बात यह है कि इस बार इस आयोजन की मेजबानी स्वयं भारत कर रहा है, जबकि इससे पहले इसकी अगुवाई विभिन्न देशों द्वारा की जाती रही है। दस दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में प्रतिदिन लाखों लोगों की उपस्थिति की संभावना जताई गई है।
अद्भुत धम्म यात्रा: 25,000 लोगों का आध्यात्मिक सैलाब
सुबह 8 बजे महाबोधि महाविहार से निकली धम्म यात्रा ने उद्घाटन कार्यक्रम की भव्यता कई गुना बढ़ा दी। हाथी पर विराजमान भगवान बुद्ध की विशाल प्रतिमा जब आगे बढ़ी तो उसके पीछे 27 देशों से आए 25,000 से अधिक भिक्षु-भिक्षुणियां और श्रद्धालुओं का मानव-सागर उमड़ पड़ा। थाईलैंड की रॉयल बैंड, श्रीलंका का कंद्यान डांस, म्यांमार का सांस्कृतिक दल, कम्बोडिया की अप्सरा झांकी, जापान–कोरिया–भूटान के पारंपरिक ग्रुप और भारत के विभिन्न राज्यों की झांकियों ने बोधगया की सड़कों को अंतरराष्ट्रीय रंगों से भर दिया। यह यात्रा वियतनामी, थाई और जापानी मंदिर होते हुए कालचक्र मैदान में संपन्न हुई, जहाँ उद्घाटन का मुख्य समारोह आयोजित था।
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने किया उद्घाटन, विश्व शांति का संदेश

दोपहर 2 बजे केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दीप प्रज्वलित कर समारोह का औपचारिक उद्घाटन किया।
मुख्य मंच पर अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू, डिप्टी सीएम चौवना मेन , महाराष्ट्र सरकार के प्रधान सचिव डॉ. हर्षदीप कांबले, तथा थाईलैंड–श्रीलंका–म्यांमार के वरिष्ठ महाथेरो शामिल रहे।
उद्घाटन सत्र में डॉ. कांबले ने कहा—
“आज जब दुनिया तनाव और युद्धों से जूझ रही है, बोधगया से उठ रही त्रिपिटक की धम्म-ध्वनि विश्व शांति का सबसे प्रबल संदेश बनकर सामने आ रही है।”
समारोह अध्यक्ष भंते संघसेना ने इसे भारत की ऐतिहासिक मेजबानी बताते हुए कहा—
“यह वह क्षण है, जब धम्म अपनी जन्मभूमि में पूरी दुनिया को एक स्वर में जोड़ रहा है।”
त्रिपिटक चैंटिंग से गुंजायमान हुआ बोधगया

सुबह 11 बजे 27 देशों से आए हजारों भिक्षुओं ने एक साथ पाली त्रिपिटक का सामूहिक पाठ शुरू किया। “नमो तस्स भगवतो…” की गूंज से कालचक्र मैदान, महाबोधि महाविहार और पूरा परिसर आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया।
चैंटिंग के बाद मंच पर भव्य भोजन दान किया गया।
सांस्कृतिक संध्या ने बांधा समां

शाम 4 बजे शुरू हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम में भारत और दक्षिण–पूर्व एशिया के कलाकारों ने मंच को जीवंत कर दिया।
नागपुर की 5 वर्षीय मुदिता सकपाळे ने “बुद्धं शरणं गच्छामि” पर मंत्रमुग्ध करने वाली प्रस्तुति दी।
थाई, श्रीलंकाई, म्यांमार और भूटानी कलाकारों के नृत्य आकर्षण का केंद्र रहे।
पावा द्वारा रचित समारोह का विशेष थीम सॉन्ग आज के कार्यक्रम की जान बना।
आज का दिन: बोधगया में धम्म की अद्वितीय अनुभूति
आज के शुभारंभ ने यह स्पष्ट कर दिया कि 2 से 12 दिसंबर तक चलने वाला यह 11 दिवसीय आयोजन सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि वैश्विक सद्भाव, संस्कृति और आध्यात्मिकता का सबसे बड़ा संगम है।
आज की विशाल भीड़, अनुशासन, अंतरराष्ट्रीय भागीदारी और आध्यात्मिक ऊष्मा ने बोधगया को एक बार फिर विश्व शांति का केंद्र बना दिया।






