✍️देवब्रत मंडल

बिहार के गया जी में पिछले दिनों रेलकर्मियों के साथ ‘डिजिटल लूट’ का एक मामला गया रेल थाना में दर्ज कराया गया है। जो बिहार में हो रहे साइबर क्राइम की कड़ी में एक नई घटना के रूप में सामने आ रहा है। इस घटना में रेलकर्मियों को रिवॉल्वर के नोक पर कवर कर लिया जाता है और कर्मचारी के मोबाइल(यूपीआई) से ₹ 20 हजार रुपए कयूआर कोड के माध्यम से अपराधी दो बार में ट्रांसफर करवा लेता है। एक अन्य व्यक्ति से भी करीब तीन हजार रुपये का मनी ट्रांसफर करवा लिया जाता है। अपराधी पीड़ितों के मोबाइल भी लूट लेता है।
इस तरह के साइबर अपराध के किस्से पहली बार गया जी में सुनने को मिले हैं। यह घटना 06 अगस्त 2025 की अल सुबह गया जंक्शन के यार्ड में मालगोदाम के पास हुई। इस मामले में पीड़ित रेलकर्मियों की शिकायत पर गया रेल थाना में कांड संख्या 236/2025 बी.एन.एस की धारा 309(4) के तहत दर्ज की गई है। इस कांड के अनुसंधानकर्ता गया रेल थानाध्यक्ष राजेश कुमार सिंह खुद हैं।

इस कांड में शामिल अपराधियों की तलाश में पुलिस को खाक छानने पड़ रहे हैं। शक और संदेह के आधार पर रेल पुलिस अबतक कई लोगों से पूछताछ कर चुकी है लेकिन कांड को अंजाम देने वाले आपराधिक गिरोह का पता अबतक नहीं चल पाया है। पुलिस संभावित गिरोह का नेटवर्क खंगालने में जुटी हुई है। आसपास के सीसीटीवी कैमरे के फुटेज को भी खंगाल चुकी है लेकिन कुछ खास हाथ नहीं लग पाया है।

इस संबंध में पूछे जाने पर गया रेल पुलिस अनुमंडल के पुलिस उपाधीक्षक आलोक कुमार सिंह का कहना है कि “साइबर फ्रॉड का मामला लग रहा है। इसके तह तक जाने का प्रयास किया जा रहा है।” स्वाभाविक है कि यह मामला साइबर क्राइम का है तो अब इस कांड में अनुसंधान की दिशा साइबर सेल की ओर ले जाया गया होगा। साइबर क्राइम का ऐसा पहला मामला गया जी में सुनने को आया है।
इस कांड के घटित होने के बाद रेल पुलिस और रेलवे सुरक्षा बल दिनरात इस कांड की गुत्थी सुलझाने में जुटी हुई है लेकिन सबसे बड़ा सवाल रेलवे यार्ड में सुरक्षा व्यवस्था की है। गया जी के मेमू यार्ड से कार्य कर लौट रहे रेलकर्मियों को बंदूक की नोक पर कोच में ही कवर कर लिया जाता है। अपराधियों की संख्या चार बताई गई है और उम्र 20-25 वर्ष के बीच। रेलवे यार्ड में गाड़ी की मालगोदाम के पास रेक लाल सिग्नल पर रुकती है और घटना को अंजाम देने वाले आपराधिक गिरोह ‘डिजिटल लूट’ को आराम से अंजाम देने के साथ निकल जाते हैं।
गया जी के यार्ड में ट्रेनों के ठहराव होते रहते हैं। गया-काष्ठा स्टेशन के बीच में मेमू शेड, यार्ड, मालगोदाम, बी-केबिन आदि रेल के कार्यालय हैं। जहां तीनों शिफ्ट में कर्मचारी और मजदूर काम करते हैं। इस घटना के बाद रेलकर्मियों में दहशत फैल गई है। जिससे रेलकर्मियों द्वारा अपने वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है। पिछले दिनों डीडीयू मंडल मुख्यालय में इस घटना पर चर्चा भी हुई है। ऐसे में इनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी अब रेलवे सुरक्षा बल और रेल पुलिस की और बढ़ गई है। इन स्थानों पर रेलवे सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की आवश्यकता है। घटना के दिन यहां आरपीएफ की ड्यूटी लगाई गई थी या नहीं, इस बात की भी विभागीय स्तर से पूछताछ होने की बात सामने आई है।
देखा जाए तो आने वाले कुछ दिनों बाद 06 सितंबर से विश्वप्रसिद्ध पितृपक्ष मेला 2025 आरंभ होने वाला है। दिल्ली, जयपुर, लुधियाना, प्रयागराज, वाराणसी आदि बड़े शहरों से डीडीयू होते हुए डेहरी, सासाराम, अनुग्रह नारायण रोड जंक्शन, गया जंक्शन की तरफ आने वाली और गया जंक्शन से खुलकर इन स्टेशनों की ओर जाने वाली यात्री व पिंडदानी ट्रेनों से आएंगे। परिचालन व्यवस्था के तहत हो सकता है कि ट्रेनें देर रात, अल सुबह या देर शाम को यार्ड में यदि रोक ली जाती है तो इस तरह की या फिर किसी तरह की आपराधिक घटना की पुनरावृत्ति की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।