पंडित दीन दयाल उपाध्याय मंडल से 4.5 किलोमीटर लंबी मालगाड़ी का ऐतिहासिक संचालन
✍️देवब्रत मंडल

भारतीय रेल के इतिहास में 07 अगस्त 2025 को एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज हो गई, जब पूर्व मध्य रेल के पंडित दीन दयाल उपाध्याय (डीडीयू) मंडल ने 4.5 किलोमीटर लंबी मालगाड़ी ‘रूद्रास्त्र’ का सफल संचालन कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। यह पहली बार है जब भारतीय रेल में एक साथ छह खाली बॉक्सन रेक को जोड़कर 354 वैगन की एक विशाल मालगाड़ी को सात इंजनों की सहायता से चलाया गया।

‘रूद्रास्त्र’ मालगाड़ी को डीडीयू मंडल के गंजख्वाजा स्टेशन से दोपहर 2:20 बजे रवाना किया गया। यह मालगाड़ी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC) के माध्यम से सोननगर तक गई, जिसके बाद वह भारतीय रेल के सामान्य मार्ग से गढ़वा रोड के लिए प्रस्थान कर गई। इस विशेष ऑपरेशन के माध्यम से मालगाड़ी संचालन में समय, संसाधन और ट्रैक उपयोग की बड़ी बचत सुनिश्चित हुई है।
नवाचार और समन्वय का उत्कृष्ट उदाहरण

इस पहल को डीडीयू मंडल की प्रबंधन क्षमता, विभागीय समन्वय, और तकनीकी दक्षता का अद्भुत उदाहरण माना जा रहा है। आमतौर पर इन छह रेक को अलग-अलग चलाने के लिए छह बार चालक दल, ट्रैक और संसाधनों की आवश्यकता होती, लेकिन ‘रूद्रास्त्र’ के रूप में एक साथ संचालन से न केवल माल ढुलाई की रफ्तार बढ़ी, बल्कि रेलवे की परिचालन क्षमता में भी बड़ा इजाफा हुआ।
क्यों खास है डीडीयू मंडल
पंडित दीन दयाल उपाध्याय मंडल भारतीय रेल के सबसे महत्वपूर्ण मंडलों में से एक है, जो धनबाद मंडल की ओर कोयला और अन्य आवश्यक वस्तुओं की ढुलाई के लिए खाली मालगाड़ियों की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करता है। गंजख्वाजा जैसे स्टेशन पर रेक की जांच, मरम्मत और तकनीकी फिटनेस सुनिश्चित करने के बाद उन्हें परिचालन के लिए तैयार किया जाता है।
‘रूद्रास्त्र’: भविष्य की दिशा
इस सफल परीक्षण से यह स्पष्ट होता है कि रेलवे अब लंबी और शक्तिशाली मालगाड़ियों के संचालन की दिशा में ठोस कदम बढ़ा रहा है। यह भविष्य में एक साथ अधिक माल ढुलाई, लागत में कमी और संपूर्ण रेलवे नेटवर्क की दक्षता में उल्लेखनीय सुधार की संभावना को बल देता है।
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि इस प्रयास से जहां ट्रैक की उपलब्धता बढ़ेगी, वहीं क्रू और संसाधनों का बेहतर उपयोग भी संभव हो सकेगा। यह ऑपरेशन भारतीय रेल को वर्ल्ड क्लास लॉजिस्टिक नेटवर्क की दिशा में एक और कदम करीब लाता है।‘रूद्रास्त्र’ मालगाड़ी का यह ऐतिहासिक संचालन न सिर्फ डीडीयू मंडल के नवाचार की मिसाल है, बल्कि यह भारत की बढ़ती आर्थिक गतिविधियों के लिए रेल परिवहन को और अधिक सक्षम एवं प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर भी है।
‘रूद्रास्त्र’ मालगाड़ी का यह ऐतिहासिक संचालन न सिर्फ डीडीयू मंडल के नवाचार की मिसाल है, बल्कि यह भारत की बढ़ती आर्थिक गतिविधियों के लिए रेल परिवहन को और अधिक सक्षम एवं प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर भी है।