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देवब्रत मंडल


पूरे देश की बात करें तो अलग अलग राज्यों में भौगोलिक दृष्टि से मौसम भी अलग अलग है लेकिन जब राजनीतिक दृष्टिकोण से देखेंगे तो इसकी गर्मी परवान चढ़ने लगी है।
Magadhlive की दो अलग अलग टीम देश के कुछ हिस्सों का राजनीतिक पारा मापने के लिए निकली। एक टीम नेपाल की तराई क्षेत्र के जिले में भ्रमण कर चुनाव की सरगर्मी को करीब से देखने को निकली थी तो दूसरी टीम पूरब और ईस्ट कोस्ट क्षेत्र में।


ईस्ट कोस्ट के क्षेत्र ओडिशा में टीम चार दिन रही। ओडिसा की राजधानी भुनेश्वर में लोकसभा चुनाव को लेकर कुछ वोटरों से बात की तो यहां के लोगों में भाजपा और इनके अलायन्स दल और विपक्षी दल बीजू पटनायक के समर्थकों ने बताया कि देश सर्वोपरि है और देशहित में इस बार वोट करेंगे। राज्य सरकार के प्रति नाराजगी कम दिखी लेकिन नरेंद्र मोदी की सरकार के कार्यों से कई लोग खुश भी थे। जब टीम जगन्नाथ पुरी मंदिर और इसके आसपास के इलाकों में गई तो समुद्र तट के किनारे पर छोटे मोटे दुकानदारों ने बताया कि उनके लिए राज्य की सरकार बेहतर काम कर रही है। गरीब एवं मध्यमवर्गीय परिवार के लोगों ने बताया जब केंद्र सरकार 10 वर्षों में हमलोगों के लिए कुछ ख़ास नहीं कर रही है तो आगे कैसे भरोसा करें कि आने वाले दिन भी अच्छे हो जाएंगे। होटल व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना था कि महंगाई की मार है। पर्यटकों के लिए विशेष देने वाली सरकार केंद्र में चाहिए। समुद्र किनारे कुछ मछुआरों से बात की गई तो उनका कहना था कि सरकार किसी की भी इस बार बने उससे कोई विशेष फर्क नहीं पड़ता है फर्क तो तब पड़ेगा जब सरकार मछुआरों के लिए कुछ तो अच्छा करे।


ट्रेवल एजेंसी से जुड़े लोगों का कहना था कि ईंधन की कीमतों में वृद्धि से उनके व्यवसाय पर काफी असर पड़ा है। महंगाई में वृद्धि से पर्यटकों के जेब पर बुरा प्रभाव पड़ा है। जगन्नाथ पुरी के मंदिर की व्यवस्थाओं से काफी लोग नाराज दिखे। वीआईपी और आम दर्शनार्थियों में यहां भेदभाव देखने को मिला। मंदिर की सुरक्षा से लेकर मंदिर की व्यवस्था देख रहे लोगों का ‘घालमेल’ अन्य राज्यों से आने वाले लोगों को काफी पीड़ा हो रही थी।
कोणार्क का सूर्य मंदिर उपेक्षित नजर आया। इस पर न तो राज्य सरकार की और न तो केंद्र सरकार कुछ करती दिखाई देती है। इस अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल को देखने वालों ने बताया खंडहर में तब्दील होती इस मंदिर के जीर्णोद्धार की आवश्यकता है। इसके अलावा कई और ऐसे स्थल हैं जिसे सवांरने की दरकार पर्यटक महसूस करते हैं।

दो दिनों के पश्चिम बंगाल के कुछ इलाकों में भ्रमण कर रही टीम से कुछ लोगों की बातें हुई तो यहां की राजनीतिक सरगर्मी कुछ और ही नजर आया। यहां कांग्रेस को अपने अस्तित्व को बचाने में कुछ लोग लगे हुए हैं तो अधिकांश लोगों ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के पक्ष में वोट करने की बात कही। यहाँ का एक इलाका भाटापारा है। म्युनिसिपल एरिया में रह रहे लोगों में इस बार चुनाव में दल बदल कर चुनाव लड़ने वाले नेताजी को मन ही मन सबक सिखाने की बात बताई। यहां से बीजेपी के उम्मीदवार को अपने ही लोगों से धोखा खानी पड़ सकती है। ममता बनर्जी का घर जिस इलाके में है। यहां सुरक्षा के भारी भरकम इंतेजाम देखने को मिला। हालांकि टीम यहां दो दिन रही लेकिन मुख्यमंत्री अपने आवास पर नहीं थीं लेकिन इलाका ‘तीन पत्ती’ वाले चुनाव चिन्ह भाजपा के ‘कमल’ के बनिस्पत अधिक पटा नजर आ रहा था।

कांग्रेस का ‘पंजा’ तो ढूंढने पर भी नहीं नजर आ रहा था।
कुल मिलाकर पश्चिम बंगाल में भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ने के साथ साथ सीट भी इस बार बढ़ने के संकेत मिले लेकिन तृणमूल कांग्रेस 42 सीट में सर्वाधिक जगहों पर कड़े मुकाबले में आगे नजर आए। वहीं नेपाल की तराई क्षेत्र के संसदीय क्षेत्र में महागठबंधन की स्थिति मजबूत है लेकिन यहां नेताओं में आपसी मतभेद का फायदा बीजेपी को मिलने के आसार हैं। पप्पू यादव और बीमा भारती पूर्णिया सीट को लेकर आमने सामने आ गए हैं तो इसका फायदा एनडीए को ही मिलेगा। अररिया में भाजपा मजबूत नजर आ रही है।

मगध प्रमंडल की चुनावी गर्मी: राजनीतिक दलों का मतदाताओं को लुभाने का संघर्ष और चुनाव चिन्हों की भूमिका

अब चलें मगध प्रमंडल की ओर तो यहाँ पहले चरण में 19 अप्रैल को गया, औरंगाबाद में मतदान होना है। गया में वैसे भी अभी से गर्मी बढ़ गई है तो राजनीतिक पारा चढ़ना स्वाभाविक भी हो गया है। यहां से राजद के प्रत्याशी बोधगया के वर्तमान विधायक कुमार सर्वजीत हैं। जिनका मुकाबला एनडीए गठबंधन के प्रत्याशी हम(से.) के संरक्षक पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी से है। चुनाव में मतदान अहम फैसला सुनाता है। मतदान के वक़्त मतदाता नाम कम चुनाव चिन्ह देखकर वोट करते हैं। एनडीए से जीतन राम मांझी का चुनाव चिन्ह ‘कड़ाही’ है तो राजद के कुमार सर्वजीत का ‘लालटेन’ चुनाव चिन्ह है। जो कड़ाही की तुलना में ज्यादा पॉपुलर है। कांग्रेस, वाम दलों के समर्थित उम्मीदवार कुमार सर्वजीत के चुनाव चिन्ह ‘लालटेन’ पर वोट करने वाले इसे अच्छी तरीके जेहन में रखते हुए वर्षों से आ रहे हैं। ठीक इसके विपरीत देखें तो एनडीए के उम्मीदवार जीतनराम मांझी के चुनाव चिन्ह को ढूंढने में इनके समर्थकों के लिए एक नई परेशानी हो सकती है। भाजपा के सिम्बल ‘कमल’ ईवीएम में नहीं रहेगा तो स्वाभाविक है कि भाजपा के परंपरागत वोटर्स को ईवीएम के सामने आने पर कुछ अवश्य परेशानी हो सकती है जो नतीजे को प्रभावित कर सकता है।

बात करें औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र की तो यहाँ राजद और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला होने वाला है। दोनों दलों के प्रत्याशी इस गर्मी में वोटरों को लुभाने के लिए अपने अपने पांव जला रहे हैं। यहां वर्तमान सांसद को एनडीए ने अपना प्रत्याशी बनाया है। वहीं एनडीए के घटक दल जदयू नेता पूर्व विधायक अभय कुशवाहा ने पार्टी छोड़कर राजद में चले गए और औरंगाबाद से चुनाव लड़ रहे हैं। औरंगाबाद कांग्रेस का कभी गढ़ माना जाता था लेकिन कांग्रेस धीरे धीरे कमजोर होती चली गई। जिसका फायदा बीजेपी को मिलने लगा है। यहां जातीय समीकरण बढ़िया है। 19 अप्रैल को मतदान के दिन सांसद सुशील कुमार सिंह और पूर्व विधायक अभय कुशवाहा दोनों के भाग्य का फ़ैसला हो जाएगा। लेकिन तब तक तपती गर्मी में वोटरों को लुभाने के लिए पांव तो जलाने ही पड़ेंगे।

तपती धूप में वोटरों को लुभाने की कोशिशें जारी, अबकी बार किसकी बारी

गर्मी में वोटरों को लुभाने के लिए अपने अपने पांव जला रहे हैं। यहां वर्तमान सांसद को एनडीए ने अपना प्रत्याशी बनाया है। वहीं एनडीए के घटक दल जदयू नेता पूर्व विधायक अभय कुशवाहा ने पार्टी छोड़कर राजद में चले गए और औरंगाबाद से चुनाव लड़ रहे हैं। औरंगाबाद कांग्रेस का कभी गढ़ माना जाता था लेकिन कांग्रेस धीरे धीरे कमजोर होती चली गई। जिसका फायदा बीजेपी को मिलने लगा है। यहां जातीय समीकरण बढ़िया है। 19 अप्रैल को मतदान के दिन सांसद सुशील कुमार सिंह और पूर्व विधायक अभय कुशवाहा दोनों के भाग्य का फ़ैसला हो जाएगा। लेकिन तब तक तपती गर्मी में वोटरों को लुभाने के लिए पांव तो जलाने ही पड़ेंगे।

Last Update: April 4, 2024