बोधगया स्थित विधायक कुमार सर्वजीत के आवास पर रविवार को फतेहपुर थाना क्षेत्र के कई ग्रामीण पहुंचे और पुलिस पर सीधे-सादे लोगों को गलत मामलों में फंसाने का आरोप लगाया। ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस ने बालू खनन मामलों में निर्दोष लोगों के नाम भेजकर झूठे केस दर्ज किए हैं, जबकि असली दोषियों को बचाया जा रहा है।
भोला सिंह ने सुनाई आपबीती
बदऊआ गांव के निवासी भोला सिंह ने बताया कि वह ग्रामीण क्षेत्र में “मगध इंटरनेशनल” नामक स्कूल चलाते हैं। 24 दिसंबर को खनन निरीक्षक ने फतेहपुर के विभिन्न बालू घाटों का दौरा किया, उसी दौरान थाना प्रभारी ने उनका नाम निरीक्षक को सौंप दिया। भोला सिंह का कहना है कि उनका न तो बालू के अवैध व्यापार से कोई संबंध है, न ही उनके पास ऐसा कोई उपकरण है जो इस व्यापार में उपयोग होता हो। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस असली बालू माफियाओं को बचाने के लिए निर्दोष लोगों को फंसा रही है।
किसानों और मजदूरों पर भी लगे आरोप
80 वर्षीय कामता सिंह ने बताया कि उनके पोते कुंदन कुमार, जो खेती में उनका हाथ बंटाते हैं, का नाम भी बालू माफियाओं की सूची में डाल दिया गया। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि किसी किसान के पास खेत जोतने के लिए ट्रैक्टर है, तो क्या उसे माफिया माना जाएगा?
सुनिल सिंह ने भी पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने बताया कि उनके दो बेटे, जो कई वर्षों से सियालदाह में काम कर रहे हैं, चार दिन पहले ही घर लौटे थे। इसके बावजूद उनके नाम खनन अधिकारियों को भेज दिए गए।
विधायक का बयान
ग्रामीणों की शिकायत सुनने के बाद विधायक कुमार सर्वजीत ने कहा कि लोकतंत्र में पुलिस का कर्तव्य है कि वह कानून का पालन करे और निर्दोषों की रक्षा करे। उन्होंने कहा, “पुलिस को अधिकार नहीं है कि वह निर्दोषों को झूठे मुकदमों में फंसाए।” उन्होंने इस मामले की जांच की मांग करते हुए कहा कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
विधायक ने यह भी कहा कि बालू कारोबार से जुड़े अधिकारियों को अपनी संपत्ति सार्वजनिक करनी चाहिए, ताकि उनकी ईमानदारी साबित हो सके। उन्होंने पुलिस पर निशाना साधते हुए कहा कि निर्दोष लोगों को फंसाना एक प्रकार का अत्याचार है और ऐसे लोगों को न्यायालय का सहारा लेना चाहिए।
राजनीतिक षड्यंत्र की आशंका
गांव के गजेंद्र प्रसाद और नागेंद्र सिंह ने इस मामले को राजनीतिक षड्यंत्र बताया। उन्होंने कहा कि पैक्स चुनाव में विपक्षी गुट के दबाव में उनके नाम सूची में जोड़े गए हैं। ग्रामीणों ने आईजी और एसपी से मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है और चेतावनी दी है कि यदि उन्हें न्याय नहीं मिला, तो वे उच्च स्तर पर अपनी आवाज उठाने को मजबूर होंगे।