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टिकारी संवाददाता: वर्तमान में प्रायः सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्राओं द्वारा उत्कृष्ट प्रदर्शन दिया जा रहा है। यह एक बहुत ही सुखद बदलाव है। एक बेहतर समाज के निर्माण में भारत की प्रगति की ध्यातव भी है। उक्त बातें सीयूएसबी में आयोजित दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को कही। उन्होंने कहा कि उपाध्याय (डिग्री) प्राप्त करने वाले दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय के सभी विद्यार्थियों को मैं बहुत – बहुत बधाई देती हूं और स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले छात्र – छात्राओं की सराहना करती हूं। उत्कृष्ट प्रदर्शन देने वाले 103 स्वर्ण पदक धारकों मे 66 पदक हमारी बेटियों का हासिल करना गौरव की बात है। जिन 25 विद्यार्थियों ने मंच पर मुझसे गोल्ड मेडल प्राप्त किया उसमें 18 बेटियां ही थीं।

राष्ट्रपति ने कहा कि सभी देशवासी इस बात पर गर्व करते हैं कि बिहार की इसी धरती पर विश्व की पहली लोकतांत्रिक व्यवस्था फली फूली थी। संविधान सभा के अंतिम भाषण में बाबा साहेब डा. भीम राव अम्बेडकर ने कहा था कि संविधान में प्राचीन साम्राज्यों में शामिल बौद्ध साम्रज्य से भी प्रेरणा ली गई है। भारत के संविधान एवं आधुनिक गणराज्य के निर्माण में भी बिहार की इस महान धरती से डा. सच्चिदानंद सिन्हा एवं डा. राजेंद्र प्रसाद के साथ बिहार के अनेक विभूतियों ने अमूल्य योगदान दिया है। प्राचीन काल से ही बिहार की यह धरती प्रतिभाओं को विकसित करने में प्रसिद्द रही है। चाणक्य और आर्यभट्ट जैसे विद्वानों ने सामाजिक व्यवस्था के साथ गणित तथा विज्ञान के छेत्र में क्रांतिकारी योगदान दिए। जिससे पूरे मानवता के विकास में सहायता प्राप्त हुई। इस विश्वविद्यालय में भी स्कूल के भवनों के नाम आर्यभट्ट भवन एवं चाणक्य भवन रखा गया है जो काफी सराहनीय है। इस विश्वविद्यालय के आचार्यगण एवं विद्यार्थियों द्वारा विश्वस्तरीय शिक्षण और शोध करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है जो काफी प्रशंसनीय है। अंत में महामहिम ने कहा कि मैं विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों से यह आह्वान करना चाहूंगी की आज के इस परिवर्तन वाले दौर में देश और विश्व के निर्माण की दिशा में वे अहम भूमिका निभा सकते हैं।

सम्मानित अतिथि के रूप में दीक्षांत समारोह में उपस्थित महामहिम राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने अपने संबोधन में सीयूएसबी के उत्कृष्ट पठन – पाठन की व्यवस्था एवं नियमित सत्र संचालन की सराहना की। उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो के. एन. सिंह को सम्बोधित करते हुए कहा कि नियमित सत्र की तरह दीक्षांत समारोह का भी आयोजन प्रतिवर्ष होना चाहिए और विद्यार्थियों को समय पर उनकी डिग्री वितरित कर देनी चाहिए।
इस अवसर पर सीयूएसबी के कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने राष्ट्रपति, राज्यपाल, संस्थापक कुलपति प्रोफेसर जनक पांडेय, भूतपूर्व कुलपति प्रोफेसर हरिश्चंद्र सिंह राठौर एवं अन्य गणमान्यों के कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिए आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि यह धरती ज्ञान एवं मोक्ष की धरती रही है, यहाँ अतीत में नालंदा एवं विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालयों रहे हैं जिसने पूरी दुनिया को शिक्षा देने का कार्य किया है। आज उसी धरती पर दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय स्थापित है जो देश और दुनिया को शिक्षा देकर अपने गौरवशाली अतीत को फिर से प्रतिस्थापित करने का सकारात्मक प्रयास कर रहा है। आयोजित दीक्षांत समारोह में स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर 1142 उत्तीर्ण छात्रों को स्वर्ण पदक और डिग्री प्रदान किया गया।