
वरीय संवाददाता देवब्रत मंडल
गयाजी में पितृपक्ष के तीसरे दिन प्रेतशिला वेदी पर तीर्थयात्रियों ने पिंडदान कर अपने पूर्वजों के प्रेतयोनि की बाधाओं से मुक्ति की कामना की। प्रेतशिला पहाड़ गया शहर से करीब छः किमी दूर है। इस पहाड़ के शिखर पर ब्रह्म वेदी है। इस वेदी तक पहुंचने के लिए 676 सीढ़ीयां है। करीब 400 मीटर ऊंचे इस पहाड़ पर पिंडदान का शास्त्र में अपना एक अलग महत्व है। मान्यताओं के अनुसार जिस किसी परिवार के सदस्य अकाल मृत्यु को प्राप्त होते हैं। उनकी आत्मा उस समय तक प्रेतयोनि में भटकते रहती है, जबतक उनके परिजन इस ब्रह्म वेदी पर सत्तू और काले तिल का पिंड नहीं अर्पण करते। पितृपक्ष के तीसरे दिन यहां श्राद्ध का विधान है। जिसको लेकर शनिवार को पिंडदान करने आए तीर्थयात्रियों की भीड़ काफी थी। इस पहाड़ के शिखर तक पहुंचने के लिए वैसे तो सरकार रोपवे की योजना को क्रियान्वित करा रही है लेकिन इस वर्ष बनकर तैयार नहीं हुआ। सरकार ने इसके निर्माण कार्य पूरा कर लिए जाने की समय सीमा वर्ष 2024 तय कर रखा है।
प्रेतशिला पर्वत के शिखर पर प्रेतशिला वेदी है। यहां ब्रह्म वेदी है। इस वेदी पर अकाल मृत्यु को प्राप्त पूर्वजों का प्रेतशिला वेदी पर श्राद्ध व पिंडदान करने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस पर्वत के शिखर पर स्थित वेदी पर पिंडदान करने से पूर्वज सीधे पिंड ग्रहण करते हैं। इससे पितरों को कष्टदायी योनियों से मुक्ति मिल जाती है।
इस पहाड़ के शिखर पर ब्रह्मवेदी तक पहुंचने के लिए तीर्थयात्रियों को 676 सीढियां चलकर तय करना पड़ा। जो शारीरिक रूप से सक्षम नहीं थे वे पहाड़ के तलहटी में स्थानीय लोगों द्वारा बनाए गए खटोले पर बैठकर पहुंचे। इसके लिए ऐसे लोगों को खटोले वालों को कुछ नकद राशि देने पड़े। हालांकि वर्षों पहले सीढियां कुछ अटपटा थी लेकिन शहर के ही एक सेठ ने इन दुर्लभ सीढ़ियों को बनवाकर तीर्थयात्रियों को आने जाने के लिए कुछ सुगम बनाने का नेक कार्य किया। जिसके कारण तीर्थयात्रियों को पहले की अपेक्षा अब पहाड़ पर चढ़ने में कष्ट थोड़ा कम महसूस होता है।
जिला प्रशासन की ओर से पहाड़ पर जलापूर्ति और प्रकाश की व्यवस्था के सुरक्षा के बेहतर इंतजाम किया गया है। पहड़तल्ली में बड़े छोटे वाहनों के ठहरने के लिए पड़ाव की व्यवस्था दी गई है। यहां पुलिस और स्वास्थ्य शिविर लगाए गए हैं। जिसका लाभ लेते तीर्थयात्रियों को देखा गया।