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वरीय संवाददाता देवब्रत मंडल

जन्म देने वाली मां को पता नहीं क्या मजबूरी बन गई थी कि अपनी ही औलाद को गुमनाम की जिंदगी जीने के लिए इस दुनियां में लावारिश हालात में छोड़ दीं। लेकिन ऊपरवाले सभी के साथ बराबर न्याय करते हैं, ये बात एक बार फिर प्रमाणित हो गया। 12 साल पहले बिहार के रोहतास जिले में एक जगह से लावारिश हालात में किसी सज्जन को एक नवजात बच्ची मिली थी। जिसे बारह वर्ष बीत गए गुमनाम की जिंदगी जीने में। अब जाकर इस बच्ची के माता और पिता दोनों मिल गए। जो पश्चिम बंगाल के रहनेवाले हैं। साथ में एक नाम भी मिल गया। जो अब इसकी पहचान बन गई है।

गुमनाम वृष्टि के जीवन में ऐसे आया नया मोड़

इस गुमनाम लड़की की कहानी में तब एक नया मोड़ आया जब पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के कोन्नगर के निवासी एक दंपती ने गोद ले लिया। कोन्नगर निवासी संजय साहा और इनकी पत्नी सेविका साहा ने 12 वर्षीया लड़की को गोद ले लिया है। इस दंपती ने एक नाम दिया ‘वृष्टि’। यानी वर्षा। मतलब कहने का कि आसमान से धरती पर गिरने वाली बारिश की वह बूंद जो बिल्कुल ही शुद्ध (निर्मल) होती है। यही नाम से अब यह बच्ची जानी जाएगी।

कौन हैं वृष्टि के माता पिता

जिस दंपती ने ‘वृष्टि’ को पूरी कानूनी प्रक्रिया अपनाते हुए गोद लिया है। उसके बारे में गया जिले के बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक सह जिला बाल कल्याण समिति के प्रभारी सदस्य कुमार सत्यकाम ने बताया कि आज (21-11-23) को बालिका गृह गया की बालिका को CARA ( Central Adoption Resource Authority) के नियमानुसार पश्चिम बंगाल के दंपति संजय साहा एवम सेविका साहा विश्वास को जिला पदाधिकारी गया डॉ० त्यागराजन एसएम द्वारा दत्तक में दिया गया।
श्री साहा ITBP से सेवानिवृत्त हेड कांस्टेबल हैं। जो पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के कोन्नगर के निवासी हैं। दोनो दंपति बालिका को प्राप्त कर बहुत प्रसन्न और संतुष्ट हैं। ज़िला पदाधिकारी एवं उन्होंने वृष्टि के उज्जवल भविष्य की कामना की है।

‘वृष्टि’ का रोहतास से गया और फिर गया से पश्चिम बंगाल का सफर

सहायक निदेशक बाल संरक्षण इकाई, गया कुमार सत्यकाम ने magadhlive को बताया कि बिहार के रोहतास जिले में एक नवजात शिशु लावारिश स्थिति में आज से करीब साल पहले मिली थी। जिसके बाद इसे गया के दत्तक गृह में 6 वर्ष की आयु पूरी होने तक रखा गया। इसके बाद नियमानुसार गया के बालिका गृह में रखा गया। यहां इसे शिक्षा के अधिकार कानून के तहत पढ़ाया जा रहा था। जो फिलहाल कक्षा पांचवीं की छात्रा है। गया में इतने सालों तक रहने के बीच ही CARA के नियमों के तहत पश्चिम बंगाल के इस दंपती ने प्रक्रिया पूरी की। जिसके बाद 21 नवंबर 2023 को डीएम डॉ त्यागराजन एसएम ने ‘वृष्टि’ को पश्चिम बंगाल के इस दंपती को सौंप दिया। जिसके बाद ‘वृष्टि’ को दोनों अपने साथ ले गए।

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Last Update: November 22, 2023