देवब्रत मंडल
गया: उत्तर भारत की सांस्कृतिक नगरी गयाजी में अंग्रेजी शासनकाल से प्रचलित एक प्राचीन परंपरा के तहत, मां दुर्गा की पांच लाइसेंसी प्रतिमाओं का शांतिपूर्ण विसर्जन शुक्रवार रात सम्पन्न हुआ। शहर के उत्तरी क्षेत्र में स्थित दु:खहरणी मंदिर, तुतबाड़ी, नई गोदाम, गोलपत्थर और झीलगंज में स्थापित इन प्रतिमाओं को दु:खहरणी द्वार से होकर जामा मस्जिद के पास से गुजारा गया।
डीएम और एसएसपी ने सुरक्षा देर रात तक सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी में डटे रहे
इस आयोजन के दौरान गया के जिलाधिकारी (डीएम) डॉ. त्यागराजन एसएम और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) आशीष भारती स्वयं देर रात तक सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी में डटे रहे। उन्होंने सुनिश्चित किया कि कार्यक्रम के दौरान कोई अप्रिय घटना न हो और परंपरा का निर्वहन सुचारू रूप से हो सके। इस अवसर पर, सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद रखने के लिए पुलिस बल के जवानों की तैनाती की गई थी।
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक अधिकारी मुस्तैद
गया के नगर पुलिस अधीक्षक, नगर पुलिस उपाधीक्षक पीएन साहू, सदर अनुमंडल पदाधिकारी, अपर समाहर्ता (राजस्व), जिला अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी, वरीय उप समाहर्ता और कोतवाली थाना के अधिकारी सहित प्रशासनिक अधिकारियों की एक बड़ी टीम कार्यक्रम स्थल पर मौजूद रही। उन्होंने सुरक्षा प्रबंधों की निगरानी की और सुनिश्चित किया कि आयोजन शांतिपूर्ण और सुरक्षित रूप से सम्पन्न हो।
सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक
यह परंपरा हर साल नवरात्र और विजयदशमी के अवसर पर निभाई जाती है, जो शहर के साम्प्रदायिक सौहार्द और आपसी भाईचारे का प्रतीक है। जामा मस्जिद के पास से मां दुर्गा की प्रतिमाओं का गुजरना और इसे शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न कराना गया की संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है।
सामाजिक कार्यकर्ताओं और गणमान्य नागरिकों की सहभागिता
कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ताओं और मुस्लिम समुदाय के गणमान्य नागरिकों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इनमें नूरानी, मोती करीमी, असद परवेज उर्फ कमांडर, अनिल स्वामी, अनंत धीश अमन, जितेंद्र कुमार, धर्मेंद्र कुमार उर्फ टिबलु सिंह, पूर्व वार्ड पार्षद संतोष सिंह, साहजी कमर, बृजनंदन पाठक, और अंकुश बग्गा प्रमुख रूप से शामिल थे। पूजा समिति के वोलेंटियर्स और विभिन्न समुदायों के लोगों की उपस्थिति ने आयोजन को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।गया प्रशासन और सामाजिक संगठनों के सामूहिक प्रयासों से यह आयोजन सफल और शांतिपूर्ण रहा। यह न केवल सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण का प्रतीक है, बल्कि शहर की सामाजिक एकता और सौहार्द को भी दर्शाता है।