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वरीय संवाददाता देवब्रत मंडल

देवघाट पर पिंडदान का कर्मकांड करतीं विदेशी महिलाएं

गया श्राद्ध का महत्व अब धीरे धीरे उन पश्चिमी देशों में भी देखने को मिल रहा है जहां पाश्चात्य संस्कृति की अधिकता है। गयाजी में 17 दिनों तक लगने वाला पितृपक्ष मेला में देश विदेशों में बसे भारतीय और सनातन धर्म को मानने वाले लोग यहां आकर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए पिंडदान का कर्मकांड करते आए हैं। इस बीच बुधवार को जर्मनी से तीर्थयात्रियों का एक दल में रहे लोगों ने पिंडदान कर पूर्वजों के मोक्ष की कामना की। इस दल में 11 महिलाएं व एक पुरूष शामिल हैं। जो विष्णुपद के देवघाट पर पिंडदान और पवित्र फल्गु में तर्पण किया।
जर्मनी से आई महिलाएं भारतीय परिधान साड़ी पहने हुए थीं। बुधवार को सनातन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अपने पितरों के मोक्ष के लिए विधि-विधान के साथ कर्मकांड किया। ये महिलाएं अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना की। इस दल के साथ रहे लोकनाथ गौर ने बताया पिंडदान करने आईं महिलाएं जर्मनी के अलग-अलग हिस्से की रहने वाली हैं। इनमें इरिना, औक्सना और आना आदि समेत के 11 महिलाएं और एक पुरुष शामिल हैं। इन सभी में सनातन धर्म के प्रति आस्था है कि पिंडदान का कर्मकांड करने से इनके पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलेगी। इसी आस्था की डोर से बंधे हुए यहां आए हुए हैं।
जर्मनी से आई अलेक्सांद्रा ने कहा कि सनातन धर्म से वे प्रभावित होकर पहली बार गया में पिंडदान करने आई हैं। जिसने कहा कि वे अपने पिता के लिए पिंडदान व तर्पण किया। जिससे उन्हें एक अलग अनुभूति हुई।
जर्मनी की ही महिला अपने पुत्र को खो चुकी थी। जिसने कहा कि पिंडदान के लिए अपने पति को इसके बारे में बताई लेकिन वे हमेशा नशे में रहते हैं। उन्होंने बताया पुत्र को मोक्ष दिलाने के लिए गया आकर पिंडदान और तर्पण किया।
विदेश से आए इन लोगों की सुरक्षा को लेकर जिला प्रशासन की तरफ से विशेष तौर पर ख्याल रखा गया है। बताते चलें कि पितृपक्ष मेला 14 अक्टूबर को समाप्त हो रहा है। इस अवधि में अबतक लाखों तीर्थयात्री गया आकर पिंडदान का कर्मकांड कर चुके हैं। कई लोग पूरे 17 दिनों तक यहां रहकर कर्मकांड करते हैं। कई अपनी सुविधा के अनुसार पिंडदान कर वापस भी लौट रहे हैं।

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Last Update: October 11, 2023