✍️देवब्रत मंडल

गया जंक्शन पर गया-कामाख्या एक्सप्रेस के यात्रियों ने जमकर बवाल काटा। पहले तो यह ट्रेन गया जंक्शन से खुल गई थी लेकिन स्लीपर कोच(एस-7) के यात्रियों को जब अपना बोगी नहीं मिला तो वे सभी ट्रेन को वैक्यूम कर रोक दिया। इसके बाद रेल प्रशासन की निंद्रा भंग हुई तो ताबड़तोड़ हंगामे को शांत करने के लिए सभी प्लेटफॉर्म पर हांफते हुए दौड़कर पहुंचे।
हंगामा करने वाले यात्रियों का कहना था कि उनकी टिकट स्लीपर क्लास के कोच नंबर एस-7 में है लेकिन यह कोच ही ट्रेन में नहीं लगाई गई है। इसके बाद कुछ यात्री रेल मदद पर, ट्विटर(एक्स पर) इसकी शिकायतें दर्ज कराने लगे। हंगामे की सूचना मिलते ही स्टेशन प्रबंधक विनोद कुमार सिंह प्लेटफॉर्म पर पहुंचे। यात्रियों की शिकायत सुनने के बाद जब पता किए तो मालूम हुआ कि इस ट्रेन में एस-7 कोच लगा ही नहीं है।
स्लीपर कोच जोड़ा गया तब यात्री शांत हुए
यात्रियों की शिकायत जायज थी। जब उन्हें एस-7 कोच में बर्थ आवंटित किया जा चुका था तो वे अपनी कोच में ही अपनी सीट(बर्थ) पर सफर करते। लेकिन जब यह कोच ही नहीं था तो हंगामा स्वाभाविक रूप से होना था जो हुआ। इसके बाद एक कोच जिसका नंबर 192984 इंतजाम किया गया। इसके बाद इसमें यात्रियों को बैठने की अपनी जगह मिली तो वे शांत हुए।
63 यात्रियों ने अपने बर्थ की बुकिंग एस-7 में करा चुके थे
गया-कामख्या एक्सप्रेस के कोच एस-7 में 63 यात्री अपने अपने गंतव्य स्टेशनों के टिकट बुक करा चुके थे। जो कोच यहां से जोड़ा गया, उसकी क्षमता 80 की थी।
कहां से हुई गलती, इसकी जांच शुरू
किसकी गलती से यात्रियों को परेशानी हुई, इसकी जांच शुरू कर दी गई है। हंगामा के बाद संबंधित सभी विभागों के पर्यवेक्षकों के फोन की घंटियां बजने लगी। इस गलती के लिए कौन जिम्मेदार है, इसकी जांच यहां से लेकर डीडीयू मंडल तक शुरू हो गई। यहां तक कि पूर्व मध्य रेल मुख्यालय हाजीपुर तक बात पहुंच चुकी थी।
एक स्लीपर कोच को हटा लेने और एक एसी कोच जोड़ने की बात सामने आई
जब स्थानीय स्तर पर इसकी जांच शुरू हुई तो प्रारम्भिक जांच में पता चला कि मंगलवार को गया जंक्शन आई कामाख्या-गया एक्सप्रेस में एक स्लीपर कोच को हटा लिया गया था और एक एसी कोच जोड़ दिया गया था। जिसकी कोई सूचना न तो परिचालन विभाग को दी गई थी और न तो वाणिज्य विभाग के रिज़र्वेशन कार्यालय को इसकी सूचना दी गई थी।
मेमो की हुई जांच तो हुआ खुलासा
जब जांच हुई तो कैरिज एंड वैगन विभाग से मेमो मंगवाया गया। जिसकी जांच हुई तो कोच के कम्पोजीशन के बदले जाने, एक स्लीपर कोच हटाने और एक एसी कोच जोड़ने की जानकारी वाणिज्य विभाग(आरक्षण कार्यालय) को नहीं दी गई थी। जबकि पहले से स्लीपर कोच एस-7 में टिकट बुकिंग की जा रही थी लेकिन 19 तारीख को जो रेक कामाख्या से चली, उसमें किए गए बदलाव की जानकारी यहां नहीं दी गई। जिसके कारण एस-7 में टिकटों की बुकिंग यात्री करा रहे थे। यहां तक कि एक एसी कोच जो जोड़े गए थे उसकी भी सूचना गया जंक्शन के आरक्षण कार्यालय को नहीं दी गई थी, जिसके कारण गया जंक्शन के आरक्षण कार्यालय के कर्मचारियों ने इस कोच में टिकट बुकिंग नहीं कर सके थे।
दो घन्टे देरी से खुली गया जंक्शन से यह ट्रेन
कोच की कमी को लेकर यात्रियों द्वारा किए गए हंगामे की वजह से और एक कोच(एस-7) को यहां से जोड़कर चलाए जाने के कारण 15689 गया-कामाख्या एक्सप्रेस दो घंटे देरी से चली। इस ट्रेन के गया जंक्शन से खुलने का समय दोपहर 12:35 है और यह ट्रेन दोपहर बाद करीब 2:27 बजे खुली। जब गया से यह ट्रेन खुल गई तब संबंधित विभाग के लोगों ने राहत की सांस ली।लेकिन अब जांच में किसकी गलती सामने आती है, ये तो बाद में ही पता चलेगा।