आईआईएम बोधगया का लीडरशिप समिट ‘नेतृत्व 2025’ सफलता के साथ संपन्न

आईआईएम बोधगया ने अपने वार्षिक लीडरशिप सम्मेलन -“नेतृत्व” का समापन किया। यह सम्मेलन बिहार में एक अनोखा नेतृत्व सम्बंधित कार्यक्रम रहा, जो समकालीन लीडरशिप और इसकी विकसित गतिशीलता पर चर्चा के लिए विभिन्न पदाधिकारियों, उद्योग विशेषज्ञों और कंटेंट क्रिएटर्स को एक साथ लाया। इसने लीडर्स द्वारा अगली पीढ़ी को प्रेरित करने के साथ ही उनके मार्गदर्शन के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया।
इस आयोजन में दो मुख्य भाषण और दो-पैनल चर्चाएं रही, जो नेतृत्व, नवाचार और डिजिटल रचनाकारों की अर्थव्यवस्था पर केंद्रित दिखाई दी।
आईआईएम बोधगया की निदेशक डॉ विनीता सहाय ने सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए नेतृत्व में दृष्टिकोण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि एक प्रबंधक और एक लीडर के बीच महत्वपूर्ण अंतर भविष्य की कल्पना करने की उनकी क्षमता में निहित है। छात्रों को अपने उद्देश्य को प्रतिबिंबित करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए, उन्होंने व्यक्तिगत मूल्यों, विरासत और लीडरशिप के व्यापक प्रभाव पर विचार-उत्तेजक प्रश्न प्रस्तुत किए। इसके बाद, मीडिया और पीआर कमिटी चेयरपर्सन डॉ संजय कौशल ने अपने स्वागत भाषण से उपस्थित सभी का आभार व्यक्त किया।
सम्मेलन में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के महासचिव भरत लाल और पुलिस महानिरीक्षक, बिहार अमित लोढ़ा द्वारा दो मुख्य भाषण शामिल रहे। भरत लाल ने नेतृत्व, सार्वजनिक सेवा और सामाजिक मूल्यों पर बात की एवं युवा नेताओं से अपने उद्देश्य को जल्दी परिभाषित करने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नेतृत्व अधिकारों और कर्तव्यों से परे है। यह धर्म को अपनाने एवं समाज के प्रति एक जिम्मेदारी के बारे में है, जो नेल्सन मंडेला और महात्मा गांधी जैसे नेताओं के आदर्शों को प्रतिध्वनित करता है।

श्री लोढ़ा जो नेटफ्लिक्स वेब सीरीज “खाकी – बिहार अध्याय” के लिए एक वास्तविक जीवन की प्रेरणा है, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शक्ति जिम्मेदारी के साथ आती है और इसका उपयोग समाज की सेवा के लिए किया जाना चाहिए। उन्होंने जिम्मेदार नागरिकता को राष्ट्र में योगदान करने के लिए सबसे प्रभावी तरीका बताते हुए उसे आगे बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया, क्योंकि यह प्रेरणा को बनाए रखता है।
पहली पैनल चर्चा का विषय “इवोल्यूशन ऑफ लीडरशिप” अर्थात नेतृत्व का विकास रहा, जिसमे चाणक्या तथा रणनीति पर 22 से अधिक पुस्तकों के बेस्टसेलिंग लेखक डॉ राधाकृष्णन पिल्लई, नेतृत्व विशेषज्ञ एवं भारत की पहली महिला एमबीए सरपंच- सुश्री छवि राजावत, प्रबंध निदेशक, डीशा ग्रुप- स्वैप्निल गावंडे और प्रशिक्षक एवं कंटेंट क्रिएटर- विपिन यादव ने भाग लिया। चर्चा ने पारंपरिक और समकालीन नेतृत्व मॉडल की खोज की, जिसका संचालन आईआईएम बोधगया के प्रथम वर्ष के एमबीए छात्र प्रत्युश सिंह द्वारा किया गया।

डॉ राधाकृष्णन पिल्लई ने चर्चा में बताया कि नेतृत्व एक प्राकृतिक विज्ञान है, जो जीवन के सभी पहलुओं में मौजूद है। उन्होंने सामाजिक परिवर्तनों के अनुरूप समय के साथ नेतृत्व विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। इस विचार को आगे बढ़ाते हुए, सुश्री छवि राजावत ने बताया कि एक नेता को जल समान होना चाहिए – अनुकूलनीय, लगातार सीखने और बढ़ने वाला। स्वप्निल ने एक मजबूत मूल्य प्रणाली के महत्व पर प्रकाश डाला और इस बात पर जोर दिया कि समाज की सेवा शुरू करने के लिए किसी भी व्यक्ति की उम्र का कोई महत्त्व नहीं होता है एवं युवाओं को उसका चिंतन करे बिना समाज हित के लिए कार्यरत होना चाहिए। विपिन ने व्यक्तिगत नैतिकता और कॉर्पोरेट उद्देश्यों के बीच संघर्ष का सामना करने हेतु आत्म-चिंतन के महत्व को रेखांकित करते हुए वर्तमान सहयोगी नेतृत्व की बढ़ती आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया।

दूसरी पैनल चर्चा, “ऐथोस ऑफ़ थे क्रिएटर्स इकॉनमी” अर्थात रचनाकारों की अर्थव्यवस्था का लोकाचार विषय पर आधारित दिखी जो कंटेंट निर्माण, व्यक्तिगत ब्रांडिंग और डिजिटल परितंत्र की नम्यता पर केंद्रित रही। पैनलिस्टों में – वित्त कंटेंट क्रिएटर, सीएफए चार्टर धारक तथा निवेश रणनीतिकार आदित्य अय्यंगर, मार्केटिंग एक्सपर्ट एवं लिंक्डइन टॉप वॉयस देवन भल्ला, उद्यमी एवं कंटेंट क्रिएटर बिभुति भूषण, एआई शिक्षक और कंटेंट क्रिएटर मंज्योति परासर शामिल रहे। आईआईएम बोधगया के दूसरे वर्ष की एमबीए छात्रा सांघवी पटेल ने सत्र को संचालित किया।
आदित्य अय्यंगर ने डिजिटल पहुंच को प्रासंगिक बनाने के महत्व के साथ चर्चा की शुरुआत की, जिसमे उन्होंने रचनाकारों को अपने दर्शकों को संख्याओं के बजाय व्यक्तियों के रूप में देखने के लिए प्रोत्साहित किया। बिभुती भूषण और देवन भल्ला ने खराब प्रदर्शन करने वाले कंटेंट को संभालने, अनुकूलनशीलता और दर्शकों पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर देते हुए अंतर्दृष्टि साझा की। विभूति ने संख्या से अधिक प्रभाव को प्राथमिकता देने की बात कही, जबकि देवन ने डेटा-चालित अनुकूलन और दृश्यों के प्रभाव से एक विनम्र कहानी रचने के बाद कंटेंट को पुन: पेश करने और उसे देखते हुए दर्शकों की संरचित यात्रा के निर्माण की वकालत की।

चर्चा में व्यक्तिगत ब्रांडिंग के बारे में मिथकों को संबोधित किया गया, जिसमें कहा गया कि कंटेंट को दृश्यता के बजाय अनुयोजन को प्रेरित करना चाहिए। पैनलिस्टों ने इच्छुक रचनाकारों को अपने क्षेत्र में अपनी प्रतिभाओं की पहचान करने, अंतर्दृष्टि का लाभ उठाने और निरंतरता बनाए रखने की सलाह दी। सत्र इस निष्कर्ष के साथ समाप्त हुआ कि किसी भी रचनात्मक प्रयास में सफलता स्थिरता, अनुकूलनशीलता और दर्शकों के साथ वास्तविक संबंध का संयोजन आवश्यक है।

पैनल के अंत ने लीडरशिप समिट के निष्कर्ष को चिह्नित किया। मीडिया और पीआर कमिटी के को-चेयरपर्सन डॉ. विशाल अशोक वानखेड़े ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया। नेतृत्व एक मंच के रूप में कार्य करता है जहां युवा हृदयों की आकांक्षाएं प्रमुख नेताओं के ज्ञान और अनुभव से मिलती हैं। यह सम्मेलन अकादमिक शिक्षा और वास्तविक जीवन में लीडरशिप के बीच अंतर को पाटने के लिए आईआईएम बोधगया की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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