गया। राज्यभर के जन वितरण विक्रेताओं की हड़ताल से राशन वितरण पूरी तरह ठप हो गया है। पटना के गर्दनीबाग धरना स्थल पर विक्रेता अंबिका यादव 20 जनवरी से आमरण अनशन पर बैठे हैं, लेकिन सरकार की चुप्पी से विक्रेताओं में जबरदस्त आक्रोश है। गया जिले में हड़ताल का नौवां दिन है, जिससे हजारों गरीब परिवार राशन से वंचित हो रहे हैं।

सांसद-विधायकों से मुलाकात, सरकार पर दबाव बढ़ाने की कोशिश

फेयर प्राइस डीलर एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष महेंद्र प्रसाद और महामंत्री विजय यादव के नेतृत्व में दर्जनों डीलर जहानाबाद सांसद सुरेंद्र यादव, गुरुआ विधानसभा विधायक विनय यादव, इमामगंज विधायक दीपा मांझी एवं मंत्री संतोष सुमन से मिले और मांग पत्र सौंपा। विक्रेताओं ने जनप्रतिनिधियों से अपील की कि वे सरकार से अविलंब वार्ता कर समाधान निकालने के लिए हस्तक्षेप करें।

विक्रेताओं की प्रमुख मांगें

विक्रेताओं ने सरकार से वार्ता कर अनशन समाप्त कराने और उनकी मांगों को तत्काल मानने की अपील की। उनकी प्रमुख मांगें हैं:

  • अनुकंपा नियुक्ति में 58 वर्ष की बाध्यता समाप्त की जाए।
  • ₹30,000 मासिक मानदेय दिया जाए।
  • राज्य खाद्य निगम के गोदामों से सही वजन और गुणवत्ता की खाद्य सामग्री दी जाए।
  • खाली बोरे का वजन, परिवहन और हैंडलिंग शुल्क डोर-स्टेप डिलीवरी संवेदक द्वारा दिया जाए।

सरकार पर दमनकारी रवैये का आरोप, उग्र आंदोलन की चेतावनी

एसोसिएशन ने आरोप लगाया कि सरकार अनशनकारी अंबिका यादव और हड़ताल कर रहे विक्रेताओं को डराने-धमकाने की कोशिश कर रही है। यदि सरकार ने जल्द वार्ता नहीं की, तो विक्रेता उग्र आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।

वार्ता विफल, आंदोलन जारी रहेगा

पटना में सरकार के सचिव से हुई वार्ता विफल रही, जिससे आंदोलनकारियों में असंतोष बढ़ गया है। इस दौरान जिला एसोसिएशन के कई वरिष्ठ सदस्य भ्रमणशील रहे, जिनमें जमुना मंडल, नरेश दास, गोपाल पासवान, सुभाष यादव, शिवकुमार यादव, सुग्रीव पासवान, विनय सिंह, रमाकांत सिंह, रमेश प्रसाद सिंह, मनजीत सिंह, शिवनाथ चंद्रवंशी, अरुण कुमार सिंह, बदन यादव, उदय नारायण सिंह, नागेश्वर दास, हरिशंकर प्रसाद, मोहम्मद साजिद, मोहम्मद शाहिद, श्यामराज सिंह, सुरेंद्र सिंह, केदार केसरी सहित कई अन्य प्रमुख नेता शामिल रहे।

13 फरवरी को CM के समक्ष रखेंगे मांग

13 फरवरी 2025 को गया में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में विक्रेता अपनी मांगें रखेंगे। इस दौरान सभी अनुमंडल और प्रखंड अध्यक्षों सहित बड़ी संख्या में विक्रेताओं की उपस्थिति रहेगी।

क्या सरकार लेगी संज्ञान, या तेज होगा आंदोलन?

अब तक सरकार की ओर से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है। अगर जल्द समाधान नहीं निकला, तो बिहार में जन वितरण प्रणाली पूरी तरह चरमरा सकती है। अब देखना यह होगा कि सरकार विक्रेताओं की मांगें मानती है या आंदोलन और उग्र होगा।

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