देवब्रत मंडल

बिहार में आगामी 13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव को लेकर जनसुराज पार्टी ने बड़ा बदलाव करते हुए अपने प्रत्याशियों को बदल दिया है। पार्टी के नेता प्रशांत किशोर ने तरारी विधानसभा सीट से किरण सिंह को उम्मीदवार बनाया है, जबकि बेलागंज सीट पर मो. अमजद को उतार कर सभी को चौंका दिया है। इस कदम को पार्टी द्वारा अपने जनाधार को मजबूत करने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।

बेलागंज में मो. अमजद की एंट्री ने बढ़ाई हलचल

मो. अमजद को प्रत्याशी बनाए जाने का फैसला अप्रत्याशित रहा, क्योंकि पहले पार्टी ने रिटायर्ड प्रोफेसर खिलाफत हुसैन को उम्मीदवार घोषित किया था। लेकिन पार्टी की हालिया प्रेस कांफ्रेंस में हुए हंगामे के बाद, जहां अमजद समर्थकों ने हुसैन के चयन पर विरोध जताया था, जनसुराज ने अपनी रणनीति बदल दी। माना जा रहा है कि प्रशांत किशोर ने इस फैसले के जरिए बेलागंज में अपनी मजबूत पकड़ बनाने की कोशिश की है, क्योंकि मो. अमजद का इस क्षेत्र में पहले से ही एक मजबूत जनाधार है और वह दो बार चुनावी मैदान में उतर चुके हैं।

सांसद सुरेंद्र प्रसाद यादव की परंपरागत सीट पर पुत्र विश्वनाथ की चुनौती

फोटो: विश्वनाथ प्रसाद सिंह और सुरेंद्र यादव

बेलागंज सीट को सांसद सुरेंद्र प्रसाद यादव की परंपरागत सीट माना जाता है, जहां से वे लगातार जीतते आए हैं। हाल ही में जहानाबाद संसदीय क्षेत्र से दूसरी बार सांसद चुने जाने के बाद सुरेंद्र यादव ने विधायक पद से इस्तीफा दिया, जिससे यह सीट खाली हो गई। ऐसे में राजद ने उनके पुत्र विश्वनाथ प्रसाद सिंह को उम्मीदवार घोषित किया है, जिससे यहां का मुकाबला दिलचस्प हो गया है। 23 नवंबर को होने वाले उपचुनाव के नतीजे इस बात का फैसला करेंगे कि राजनीतिक ऊंट किस करवट बैठेगा।

तरारी से किरण सिंह को दी गई कमान

तरारी सीट पर किरण सिंह को उतार कर जनसुराज पार्टी ने एक नया दांव खेला है। इस फैसले के पीछे की रणनीति भी पार्टी के व्यापक जनाधार को मजबूत करने की कोशिश मानी जा रही है।

बेलागंज सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले के आसार

बेलागंज सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है, जहां जदयू ने पूर्व एमएलसी मनोरमा देवी को उम्मीदवार घोषित किया है और राजद की ओर से विश्वनाथ प्रसाद सिंह मैदान में हैं। ऐसे में जनसुराज के मो. अमजद के मैदान में उतरने से यहां त्रिकोणीय मुकाबले की संभावनाएं तेज हो गई हैं।

प्रशांत किशोर का सधा हुआ दांव

मो. अमजद का चुनावी अनुभव और जनसुराज पार्टी की रणनीति को देखते हुए यह स्पष्ट है कि प्रशांत किशोर ने इस चुनाव में अपनी जीत की संभावनाओं को मजबूत करने का प्रयास किया है। इस फैसले से जहां पार्टी ने अपने समर्थकों की मांग को मानते हुए प्रत्याशी बदला है, वहीं एक मंझे हुए और अनुभवी उम्मीदवार को मैदान में उतारकर विरोधियों के लिए एक कड़ी चुनौती पेश की है।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि 23 नवंबर को जब परिणाम सामने आएंगे, तो क्या राजद अपनी परंपरागत सीट को बरकरार रख पाएगी या जनसुराज और जदयू इस क्षेत्र में नया इतिहास रचने में सफल होंगे।

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