भारतीय लोकतंत्र में “विधायक” और “विधायिका” जैसे शब्दों का महत्व असंदिग्ध है। हालांकि, अकसर इनका गलत उपयोग देखने को मिलता है, खासकर जब महिला विधायकों को “विधायिका” कहकर संबोधित किया जाता है। यह न केवल व्याकरणिक दृष्टि से गलत है, बल्कि इसके पीछे छिपे अर्थ को भी तोड़-मरोड़ देता है। इस लेख में, हम “विधायक” और “विधायिका” के बीच का अंतर स्पष्ट करेंगे और यह समझाएंगे कि महिला विधायक को “विधायिका” कहना क्यों अनुचित है।
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विधायक का अर्थ और जिम्मेदारी
“विधायक” का अर्थ है वह व्यक्ति जो जनता द्वारा चुना जाता है और विधान सभा में उनका प्रतिनिधित्व करता है। यह शब्द लिंग-निरपेक्ष है, यानी पुरुष और महिला दोनों के लिए समान रूप से प्रयुक्त होता है।
मुख्य कार्य:
- जनता की समस्याओं को विधान सभा में उठाना।
- राज्य में कानून बनाने की प्रक्रिया में भाग लेना।
- अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए योजनाएँ बनाना और उन्हें लागू करना।
महिला विधायक के लिए “विधायक” शब्द का ही उपयोग किया जाना चाहिए। “विधायक” शब्द में महिला या पुरुष का अलगाव नहीं किया जाता।
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विधायिका का अर्थ और भूमिका
“विधायिका” का अर्थ है वह संस्था या संगठन जो कानून बनाने का काम करती है। यह एक व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरे ढाँचे को संदर्भित करता है। भारत में विधायिका के दो मुख्य प्रकार हैं:
- संसद (Parliament): यह केंद्रीय स्तर की विधायिका है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा शामिल हैं।
- राज्य विधान मंडल (State Legislature): इसमें विधान सभा (Lower House) और कहीं-कहीं विधान परिषद (Upper House) भी होती है।
विधायिका की जिम्मेदारी:
- कानून बनाना और संशोधित करना।
- सरकार की नीतियों पर निगरानी रखना।
- जनता के लिए जिम्मेदार प्रशासन सुनिश्चित करना।
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महिला विधायक को “विधायिका” कहना क्यों गलत है?
महिला विधायक को “विधायिका” कहना व्याकरण और अर्थ, दोनों दृष्टियों से गलत है।
1. भाषाई दृष्टिकोण:
“विधायिका” एक संस्था है, जबकि “विधायक” व्यक्ति को संदर्भित करता है। दोनों शब्दों के अर्थ में मूलभूत अंतर है।
2. प्रभाव:
किसी महिला विधायक को “विधायिका” कहना उनके पद और जिम्मेदारियों को स्पष्ट करने में भ्रम पैदा करता है। यह उनकी पहचान को गलत रूप में प्रस्तुत करता है।
3. सही अभिव्यक्ति:
महिला विधायक को उनके पद के लिए सम्मानजनक तरीके से “विधायक” या “महिला विधायक” कहा जाना चाहिए।
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भाषा का सही उपयोग क्यों है महत्वपूर्ण?
लोकतंत्र में भाषा का उपयोग न केवल सटीकता बल्कि सम्मान और स्पष्टता का भी प्रतीक है। जब हम किसी महिला विधायक को “विधायिका” कहते हैं, तो हम उनके वास्तविक पद और जिम्मेदारी को सही रूप में प्रस्तुत नहीं कर पाते। इसलिए, सही शब्दों का चयन करना आवश्यक है। “विधायक” और “विधायिका” शब्दों के अर्थ और उपयोग को समझना आवश्यक है। महिला विधायक को “विधायिका” कहना न केवल व्याकरणिक रूप से गलत है, बल्कि इससे उनके पद की गरिमा को भी ठेस पहुँचती है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भाषा का उपयोग सटीक, सम्मानजनक और प्रभावी हो।
✍️ दीपक कुमार
(मगध लाइव)