देवब्रत मंडल

मगध विश्वविद्यालय, बोधगया का सर्वश्रेष्ठ महाविद्यालयों की श्रेणी में विशिष्ट स्थान रखने वाले गया कॉलेज, गया का नाम कौन नहीं जानता होगा। स्वयं में एक इतिहास को समेटे हुए इस महाविद्यालय के प्रांगण में देश के महान हस्तियों की प्रतिमाएं बहुत ही उच्च विचार के साथ स्थापित किया गया। शिक्षाविदों की उपस्थिति में अनावरण किया गया था लेकिन आज इन महान हस्तियों की प्रतिमाएं स्वयं को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। जिस स्थान पर इनकी प्रतिमाएं लगाई गई। उस स्थान से इस महाविद्यालय के शिक्षक, शिक्षकेत्तर कर्मचारी, छात्र छात्राएं प्रतिदिन गुजरते हैं। नजर पड़ने पर श्रद्धा से सिर भी झुकाते होंगे लेकिन इन महान हस्तियों की प्रतिमाओं की उपेक्षा कहीं न कहीं इस महाविद्यालय की व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हुए नजर आती है।

साहित्य के क्षेत्र में मुंशी प्रेमचंद की अमर रचनाएं आज भी पाठ्यक्रम में शामिल है। साहित्य के क्षेत्र में इनके अवदान को भुलाया नहीं जा सकता है। इनका मूल नाम धनपत राय श्रीवास्तव है। इनके जीवन के बारे में हर उस स्थान जानकारियां उपलब्ध कराया गया है जहां शिक्षा का मंदिर है। इनकी प्रतिमा पर लगी गंदगी को साफ करने के लिए महाविद्यालय प्रशासन के पास मानो समय नहीं है। जबकि यहां सफाई के लिए व्यवस्था दी गई है परंतु हर दिन न तो इस स्थल की और न तो इनकी प्रतिमा की सफाई होती है।

यही हाल स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का देखने को मिला। इस प्रतिमा को स्थापित करने के पीछे के उद्देश्यों पर ज्यादा चर्चा करना उचित नहीं लेकिन देश तो क्या विश्व पटल पर इनके अवदानों की चर्चा हर कोई करते हैं। उपेक्षा का शिकार मात्र ये प्रतिमाएं नहीं है बल्कि एक विचार की उपेक्षा कही जा सकती है। वह भी ऐसे नामी गिरामी गया कॉलेज, गया में, जो कहीं से भी उचित प्रतीत नहीं नजर आता है।

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