
टिकारी संवाददाता: टिकारी प्रखंड अंतर्गत अमरपुर गांव में चल रहे पंचकुंडीय विष्णु महायज्ञ के चतुर्थ भगवान राम के बाल लीला का कथा का श्रोताओं ने आनंद लिया। कथावाचक डा. राम सजीवन शास्त्री जी महाराज ने भगवान श्रीराम के बाल स्वरूप का चित्रण करते हुए उनके विभिन्न स्वरूपों का व्याख्यान किया। इस क्रम में उन्होंने कहा कि भारत की भूमि स्वर्ग से भी सुंदर और पवित्र है। इस पवित्र धरा पर देवता भी आने के लिए लालायित रहते हैं। भगवान राम बाल्य काल से ही उच्च-नीच और छुआछूत का भेदभाव नहीं मानते थे। अपने छोटे भाइयों को खुश करने के लिए खेल में जानबूझकर हार जाया करते थे। वशिष्ठ के आश्रम में उन्होंने एक मर्यादित शिष्य की भूमिका निभाई थी।
भगवान श्रीराम की जीवन लीला से हमें सीख लेनी चाहिए एवं समाज में व्याप्त उच्च नीच के भेदभाव को समाप्त करना चाहिए। यज्ञ के द्वारा सनातन संस्कृति को मजबूती मिलती है। जहां भी यज्ञ का आयोजन होता है हमें वहां जाना चाहिए एवं ईश्वर की लीलाओं से सीख लेनी चाहिए। महायज्ञ आयोजन से जुड़े राजू शर्मा ने कहा है कि यज्ञ समिति भक्त जनों का पूरा ख्याल रख रहा है।