देवब्रत मंडल

गया। गया नगर निगम के कनीय अभियंता शैलेन्द्र कुमार सिन्हा पर वित्तीय गबन, कदाचार, और सरकारी निर्देशों के उल्लंघन के गंभीर आरोप सामने आए हैं। सशक्त स्थायी समिति के सदस्य धर्मेंद्र कुमार ने उप नगर आयुक्त को लिखे पत्र में शैलेन्द्र कुमार की संविदा बहाली का कड़ा विरोध करते हुए, उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की है। पत्र में शैलेन्द्र कुमार पर वित्तीय अनियमितताओं से लेकर विभागीय निर्देशों की अवहेलना और फर्जी आदेश जारी करने जैसे कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इन मामलों को लेकर नगर निगम और संबंधित अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।

वार्ड पार्षद-सह-सशक्त स्थायी समिति सदस्य धर्मेंद्र कुमार

वित्तीय गबन और समायोजन न करने का आरोप

शैलेन्द्र कुमार पर आरोप है कि 2001 से 2008 के बीच, कनीय अभियंता के पद पर रहते हुए उन्होंने रोड और नाली निर्माण कार्य के नाम पर करीब 64 लाख रुपये अग्रिम राशि ली। इस राशि का आज तक समायोजन नहीं किया गया। महालेखाकार, बिहार, पटना की 2006-07 की रिपोर्ट में इन वित्तीय अनियमितताओं पर सवाल उठाए गए थे। रिपोर्ट के आधार पर नगर निगम ने कई बार पत्राचार के माध्यम से समायोजन का निर्देश दिया, लेकिन शैलेन्द्र कुमार ने कोई जवाब नहीं दिया। नगर निगम के ज्ञापांक संख्या 928 (02 अगस्त 2010) से लेकर 2138 (01 सितंबर 2023) तक लगातार स्मार पत्र भेजे गए, लेकिन राशि का समायोजन नहीं किया गया। इससे निगम को वित्तीय संकट और अनियमितता का सामना करना पड़ा।

कदाचार और अनुशासनहीनता के आरोप

1. लोक शिकायत निवारण अधिनियम का उल्लंघन:
तत्कालीन नगर आयुक्त सावन कुमार ने 2019 में शैलेन्द्र कुमार को निलंबित किया था। उन पर निर्देशों का पालन न करने और मनमाने ढंग से काम करने के आरोप लगे थे।

2. सशक्त स्थायी समिति की अवमानना:
धर्मेंद्र कुमार ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि सशक्त स्थायी समिति के सदस्यों, जिनमें विवोद यादव और चुन्नु खां शामिल हैं, ने भी शैलेन्द्र कुमार पर गंभीर आरोप लगाए। इन आरोपों की जांच आज तक लंबित है।

3. फर्जी आदेश जारी करना:
आरोप है कि शैलेन्द्र कुमार ने 2019 में तत्कालीन नगर आयुक्त कंचन कपूर को धोखे में रखकर फर्जी आदेश जारी किए। उन्होंने सशक्त स्थायी समिति की मंजूरी का झूठा हवाला देकर सफाई कार्यों के लिए आदेश निकाले, जबकि ऐसा कोई प्रस्ताव समिति में पारित नहीं हुआ था।

सरकारी गाइडलाइंस का उल्लंघन

धर्मेंद्र कुमार ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि शैलेन्द्र कुमार की संविदा पर बहाली सरकार की गाइडलाइंस का उल्लंघन है। 17 सितंबर 2018 को जारी सरकारी निर्देश (ज्ञापांक संख्या 4956) के अनुसार, जिन कर्मियों पर विभागीय कार्रवाई, गंभीर आरोप, या आपराधिक मामले दर्ज हैं, उन्हें संविदा पर नियुक्त नहीं किया जा सकता। शैलेन्द्र कुमार के खिलाफ दर्जनों विभागीय मामले लंबित हैं, जो उनकी संविदा बहाली को अवैध बनाते हैं।

अनियमितताओं की लंबी फेहरिस्त

शैलेंद्र कुमार ,अभियंता (गोल घेरे में)

शैलेन्द्र कुमार पर जेम पोर्टल पर फर्जी तरीके से कार्य करवाने के आरोप हैं। उनके द्वारा सरकारी नापी पुस्त और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेजों को 20 वर्षों तक अपने पास रखे जाने का मामला भी सामने आया है। सरकारी राशि का समायोजन न करना अस्थायी गबन की श्रेणी में आता है।

तत्काल कार्रवाई की मांग

धर्मेंद्र कुमार ने उप नगर आयुक्त से मांग की है कि:

  • शैलेन्द्र कुमार को तुरंत सेवा मुक्त किया जाए।
  • उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
  • अग्रिम राशि की वसूली सुनिश्चित की जाए।
  • निगम के धन की सुरक्षा के लिए दोषी अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाए।

सरकार की नजर में मामला

नगर विकास एवं आवास विभाग ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सेवानिवृत्त कर्मियों को संविदा पर रखना नियमों का उल्लंघन है। इसके बावजूद यदि कार्रवाई नहीं की गई, तो यह निगम के लिए संवैधानिक संकट खड़ा कर सकता है।

निगम की साख पर सवाल

गया नगर निगम में अभियंता शैलेन्द्र कुमार से जुड़ा यह मामला न केवल वित्तीय अनियमितताओं की ओर इशारा करता है, बल्कि निगम की कार्यशैली और पारदर्शिता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। अब देखना होगा कि नगर आयुक्त इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और निगम की साख बचाने के लिए क्या कार्रवाई होती है।

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