गया के हरिदास सेमिनरी स्कूल के ऑडिटोरियम में रविवार को किलकारी गया के 400 पूर्ववर्ती छात्रों के लिए विदाई समारोह आयोजित किया गया। 2014 से 2024 तक किलकारी की विभिन्न विधाओं में प्रशिक्षित छात्र इस आयोजन में शामिल हुए। कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्वलन के साथ हुआ और यह यादों, सम्मान और प्रेरणा से परिपूर्ण रहा।

सम्मान और स्मृतियों का आदान-प्रदान

समारोह में 16 वर्ष की आयु पार कर चुके छात्रों को भागलपुरी अंगवस्त्र, डायरी, बाल किलकारी पत्रिका और स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में छात्रों को करियर संबंधी मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए विशेष सत्र आयोजित किया गया, जहां बच्चों ने मंचासीन विशेषज्ञों से सीधे संवाद किया और करियर से जुड़े सवाल पूछे।

फिल्मों और प्रस्तुतियों से सजी शाम

कार्यक्रम के दौरान ‘ऐसी है किलकारी’ और ‘किलकारी की कहानी बच्चों की जुबानी’ जैसी शैक्षणिक और प्रेरणादायक फिल्में प्रदर्शित की गईं। किलकारी के संगीत विधा के बच्चों ने ठुमरी गायन की प्रस्तुति दी, जबकि नृत्य विधा के बच्चों ने ‘भारत दर्शन’ के माध्यम से देश के विभिन्न राज्यों के लोकनृत्य प्रस्तुत किए। इन प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

प्रमुख अतिथियों की उपस्थिति

समारोह में कई विशिष्ट अतिथि शामिल हुए, जिनमें अवकाश प्राप्त निगम युक्त राय मदन किशोर, मगध विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति कुसुम कुमारी, शिक्षाविद अरविंद कुमार, संगीताचार्य पंडित राजेंद्र सिजुआर, पंडित सुरेंद्र पांडे सौरभ, करियर काउंसलर राजेश राठौर, वरिष्ठ पत्रकार-छायाकार रूपक सिंह और मगध विश्वविद्यालय के पूर्व अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष अश्विनी कुमार शामिल थे।

विशेष पहल: डायरी का लोकार्पण

इस अवसर पर किलकारी बिहार बाल भवन 2025 की टेबल डायरी का लोकार्पण किया गया। यह डायरी किलकारी के बच्चों की उपलब्धियों और संस्थान के सफर की झलक प्रस्तुत करती है।

विदाई के साथ नई शुरुआत

अंत में, सभी छात्रों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। एक जैसे अंगवस्त्र पहने छात्रों की उपस्थिति ने आयोजन स्थल को विशेष रूप से आकर्षक बना दिया। अपने पुराने साथियों और प्रशिक्षकों से मिलकर बच्चों ने इस आयोजन को यादगार बताया।

संस्थान का योगदान

किलकारी के प्रमंडल कार्यक्रम समन्वयक राजीव रंजन श्रीवास्तव ने बताया कि 2008 में बिहार में शुरू हुई यह संस्था 2013 में गया आई और अब तक हजारों बच्चों को प्रशिक्षित कर उनके सपनों को उड़ान दी है। इस कार्यक्रम की सफलता में किलकारी के प्रशिक्षकों, कर्मियों और बच्चों का विशेष योगदान रहा।

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