
गया, 8 मार्च 2025 – बिहार राज्य विद्यालय रसोइया संघ (ऐक्टू) की गया जिला कमिटी की बैठक शुक्रवार को संघ अध्यक्ष विभा भारती की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक का संचालन जिला सचिव रामचंद्र प्रसाद ने किया। बैठक में रसोइयों के मानदेय बढ़ाने और कार्य स्थितियों में सुधार की मांग को लेकर चर्चा हुई।
संघ के जिला सचिव रामचंद्र प्रसाद ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिलाओं के विकास की बातें तो की जाती हैं, लेकिन हकीकत यह है कि विद्यालयों में मध्यान्ह भोजन योजना के तहत काम करने वाली 98% गरीब महिलाएं आज भी मात्र ₹50 प्रतिदिन, यानी ₹1650 प्रति माह के मानदेय पर कार्य करने को मजबूर हैं। इतना ही नहीं, उन्हें पूरे 12 महीने काम करने के बावजूद केवल 10 महीने का ही वेतन दिया जाता है।
एनजीओ को हटाने की मांग, हेडमास्टर पर उत्पीड़न के आरोप
बैठक में इस बात पर भी नाराजगी जताई गई कि कई विद्यालयों में प्रधानाध्यापक (हेडमास्टर) रसोइयों पर अतिरिक्त कार्य करने का दबाव बनाते हैं, जैसे कि स्कूल परिसर की सफाई करना। ऐसा न करने पर उन्हें सेवा से हटाने की धमकी दी जाती है।
संघ अध्यक्ष विभा भारती ने कहा, “विद्यालयों में बच्चों को ताजा भोजन उपलब्ध कराने वाली रसोइयों के साथ सरकार धोखा कर रही है। जब सरकार ने न्यूनतम मजदूरी ₹426 प्रतिदिन तय की है, तो फिर मात्र ₹1650 प्रति माह देना अन्याय नहीं तो क्या है? यह सरासर शोषण है, और हम अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करेंगे।”
संघ ने सरकार से मांग की है कि:
- विद्यालय रसोइयों का मानदेय ₹10,000 प्रति माह किया जाए।
- उन्हें पूरे 12 महीने का वेतन दिया जाए।
- मध्यान्ह भोजन योजना से एनजीओ को हटाया जाए ताकि रसोइयों की नौकरियों पर मंडरा रहा खतरा दूर हो।
बैठक में रीता वर्मा, अंजू देवी, रेनू देवी, अनीता देवी, सरोज देवी, प्रतिमा देवी, सारदा देवी, मानो देवी, सीता देवी, रीता देवी और सुनीता देवी सहित कई रसोइयों ने भाग लिया और अपनी समस्याओं को खुलकर रखा। संघ ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों को जल्द पूरा नहीं किया गया तो वे बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।