देवब्रत मंडल

मगध प्रमंडल का मुख्यालय गया शहर का लोको कॉलोनी 25 फरवरी को अनूठा संगम स्थल का ऐतिहासिक उदाहरण बनने वाला है। पूर्व मध्य रेल के डीडीयू मंडल अंतर्गत गया के लोको कॉलोनी में इस महासंगम को ‘पुनर्मिलन उत्सव’ नाम दिया गया है। जिसको लेकर तैयारियां जोरों पर है। पाँचमुहानी कला परिषद, लोको कॉलोनी द्वारा आयोजित होने वाले इस ‘पुनर्मिलन उत्सव’ की एक एक बात अनोखी और निराली है। कार्यक्रम की रूपरेखा भी अन्य किसी भी कार्यक्रम से बिल्कुल ही अनोखा है। इसकी खासियत अद्वितीय है। यह उत्सव सदियों तक यादगार बना रहे, वैसा कार्यक्रम तैयार किया गया है।

आइए जानते हैं कि क्या है इस उत्सव का उद्देश्य

आप अपने मानस पटल पर एक कल्पना करें कि पांच दशक पहले आपका कोई दोस्त नंगे बदन साथ खेला और फिर आपसे किसी कारण से आपसे दूर चला गया हो। उस सखा की याद आपको बार बार या फिर अनायास ही आ जाती है तो उससे मिलने के लिए आपका मन बेचैन हो जाता है। सोचते हैं कि कैसे उससे मिलें या फिर बात तक कोई उससे बातें करा दे। यदि मिलन हो जाए तो अतिउत्तम। ऐसे सोच में डूबे सखा से जब आप दशकों बाद मिलेंगे तो उस उत्साह की पराकाष्ठा क्या होगी इसका सहज ही अंदाजा लगाना मुश्किल है। इस उत्सव में ऐसे ही दोस्तों का दशकों बाद 25 फरवरी को लोको कॉलोनी में महासंगम होने जा रहा है।

तात्पर्य कुछ और नहीं, केवल पुनर्मिलन

इस कार्यक्रम का कोई और तात्पर्य नहीं। केवल पुनर्मिलन। जो पुनर्जन्म का अहसास कराएगा। किसी भी छोटे बड़े आयोजन में कोई न कोई स्वार्थ निहित होता है, लेकिन इस कार्यक्रम का कोई निजी स्वार्थ निहितार्थ नहीं। निःस्वार्थ आयोजित होने जा रहे इस पुनर्मिलन उत्सव में केवल वही लोग शामिल होने के लिए आ रहे हैं जो या तो रेलकर्मी रहे हैं या फिर उनके आश्रित जो रेलवे के इस लोको कॉलोनी के कर्मचारी आवासों में रह चुके हैं। इस उत्सव की विशेषता है। कुछ अपवादों को छोड़कर।

कार्यक्रम की रूपरेखा तय कर दी गई है

इस उत्सव में दूरदराज से आने वाले और कॉलोनी के आसपास रह रहे लोगों का प्रस्ताव आया कि जिस प्रकार बचपन से लेकर युवावस्था में इस लोको कॉलोनी में गिल्ली-डंडा, कांच की गोली(अंटा), डोल-पत्ता, कैरम बोर्ड, क्रिकेट, वॉलीबॉल, फुटबॉल, बैडमिंटन आदि खेले थे। उसकी पुनरावृत्ति करते हुए खो चुके बचपन और जवानी के दिनों की यादों को तरोताजा किया जाए। तो ऐसे में कुछ गेम्स को इस कार्यक्रम में शामिल कर लिया गया है।

लोको कॉलोनी का संयुक्त रूप से भ्रमण

जिस जगह(लोको कॉलोनी) कई लोगों के जन्म भी हुए हैं वे, जो बचपन से लेकर प्रौढ़ावस्था और वृद्धावस्था में पहुंच गए हैं वे और जो अपने पिता-माता, दादा-दादी, नाना-नानी, मौसी-मौसा, फुआ-फूफ़ा आदि के साथ इस लोको कॉलोनी में रह चुके हैं, वे इस उत्सव के साक्षी बनने के लिए आ रहे हैं। ये सभी एकसाथ इस लोको कॉलोनी का भ्रमण करेंगे जो एक धरोहर के रूप में आज विद्यमान है।

होली मिलन सहित अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे

चुकी इस पुनर्मिलन उत्सव के बाद ठीक एक महीने बाद 25 मार्च को होली है तो होली मिलन इस उत्सव का विशेष आकर्षण होगा। इसके लिए मंच और स्थल भी लोको कॉलोनी पाँचमुहानी के पास ही बन रहा है। गीत संगीत से सजी शाम का आगाज होगा और अंत उस वक्त होगा जब तक सभी के दिल न कहे।

200 से अधिक लोगों का होने जा रहा जुटान

पाँचमुहानी कला परिषद से जुड़े लोगों ने बताया कि इस पुनर्मिलन उत्सव में दो सौ से अधिक लोगों के जुटान होने की संभावना है। 25 फरवरी तक इस संख्या में वृद्धि होने की संभावना से इनकार भी नहीं किया जा सकता है। यह उत्सव लोको कॉलोनी, गया के लिए ही नहीं बल्कि देश दुनियां के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करेगा कि दशकों से एक दूसरे से जुदा रहे रेलकर्मी, सेवानिवृत्त रेलकर्मी, उनके आश्रित एक बार फिर उसी लोको कॉलोनी में मिलेंगे जिस धरती पर जीवन के केवल एक रंग देखे हैं और वो है मित्रता। जिसे किसी कसौटी पर परखने की जरूरत नहीं।

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