✍️ देवब्रत मंडल

5 दिसंबर 2013 की सुबह खिजरसराय थाना क्षेत्र के सोनास दुल्ला बिगहा गांव में एक ऐसी घटना घटी जिसने पूरे बिहार को झकझोर दिया था। गांव के पवित्र नारायण सिंह के घर में पांच नाबालिग बच्चियों की सोते समय हत्या कर दी गई थी। यह जघन्य हत्याकांड इतना भयानक था कि जिसने भी घटना स्थल के दृश्य को देखा, वह सन्न रह गया था। शवों की स्थिति और इस बर्बरता को समझना आसान नहीं था।

घटना की पृष्ठभूमि

शुरुआत में, पवित्र नारायण सिंह के परिवार ने हत्या का आरोप पड़ोस के कुछ व्यक्तियों पर लगाया, जिनसे उनका जमीन विवाद चल रहा था। पीड़ित परिवार ने गांव के कुंदन सिंह सहित छह लोगों को नामजद किया। पुलिस ने तत्काल कुंदन सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेजा, लेकिन जांच के दौरान यह सामने आया कि इन नामजद व्यक्तियों का इस घटना से कोई संबंध नहीं था। कुंदन सिंह को दो महीने बाद जेल से रिहा कर दिया गया था।

हत्या के पीछे छिपी साजिश

घटना के समय की तस्वीर👆

जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी, पुलिस के हाथ ऐसे सबूत लगे, जिसने इस घटना की दिशा बदल दी। पुलिस ने खुलासा किया कि पांचों बच्चियों की हत्या किसी बाहरी व्यक्ति ने नहीं, बल्कि पवित्र नारायण सिंह के छोटे बेटे विपिन कुमार ने की थी।

विपिन ने अपनी दो बेटियों मनीषा और अमीषा के साथ अपने बड़े भाई शशि भूषण सिंह की दो बेटियां स्वीटी और रेशमा तथा मंझले भाई भरत भूषण सिंह की बेटी जूली कुमारी की सोते समय हत्या की। जांच के मुताबिक, विपिन का मकसद अपने विरोधियों को फंसाकर बदला लेना था।

सबूतों ने खोली सच्चाई

फोरेंसिक टीम ने विपिन की बाइक पर मृतकों के खून के निशान और उसके मोबाइल टॉवर लोकेशन जैसे ठोस सबूत पेश किए। लेकिन हत्या के बाद विपिन गांव छोड़कर फरार हो गया।

पुलिस की विफलता और 11 साल का इंतजार

घटना के समय की तस्वीर👆

घटना के 11 साल बाद भी पुलिस विपिन को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। 6 साल पहले एक साधु के वेश में रहने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया, लेकिन सत्यापन के बाद उसे छोड़ दिया गया। थाना अध्यक्ष कमलेश राम ने बताया कि केस बंद कर दिया गया है। विपिन को भगोड़ा घोषित कर न्यायालय ने लाल वारंट जारी किया, लेकिन पुलिस उसे पकड़ने में विफल रही।

परिवार और गांव की स्थिति

प्रतीकात्मक चित्र

पवित्र नारायण सिंह का परिवार आज भी उस भयावह रात के सदमे से उबर नहीं पाया है। विपिन की पत्नी अब गांव छोड़कर गया में रहती है। घटना के बाद से गांव का माहौल बदला हुआ है, और लोग इस हत्याकांड को भूल नहीं पाए हैं।

अनुत्तरित सवाल

पांच कमरों में अलग-अलग सो रही बच्चियों को अकेले विपिन ने कैसे मारा? क्या कोई और इसमें शामिल था? इस घटना के पीछे छिपे कई सवाल आज भी पुलिस की फाइलों में दफन हैं।

अंतिम टिप्पणी

यह हत्याकांड सिर्फ अपराध नहीं, बल्कि सामाजिक और प्रशासनिक विफलता की कहानी है। मासूम बच्चियों की हत्या ने जिस तरह से इंसानियत को शर्मसार किया, उसके अपराधी का 11 साल तक फरार रहना न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। सोनास दुल्ला बिगहा हत्याकांड आज भी एक ऐसे काले अध्याय के रूप में दर्ज है, जो न्याय की गुहार लगाता है।

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