टिकारी संवाददाता: जब आपके जीवन में आपको सद्गुरु मिल जाए तो समझ लेना कि अब ये गोविन्द का इशारा है कि गुरु तो आ गए हैं, अब गोविन्द भी आने वाले हैं। अब उनकी भी कृपा होने वाली है। उक्त बातें टिकारी के पंचमहला में आयोजित श्रीमद भागवत कथा सह महायज्ञ के तीसरे दिन रविवार को प्रवचन करते हुए प्रसिद्ध वाचिका देवी चित्रलेखा ने कही। उन्होंने कहा कि सद् शब्द कोई सस्ता नहीं है। “सद्गुरु” सद्गुरु दीन्ही ऐसी नजरिया, हर कोई लागे मीत रे …ये दृष्टि सिर्फ सद्गुरु से ही प्राप्त हो सकती है। इसलिए जब जीवन में सद्गुरु धारन हो जाये तो समझ लेना अब प्रभु बहुत प्रसन्न है हमसे हम पर भी कृपा बरसने लगी हैं। सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा में कहा कि जीव जन्म लेते ही माया में लिपट जाता है और माया में लिपट जाने के कारण जीव अपने कल्याण के लिए कुछ नहीं कर पाता। वह जैसे जैसे कर्म करता जाता है वैसे वैसे फल उसे भोगने पड़ते हैं। बताया के मृत्यु के बाद जीव को 28 नरकों में से अपने कर्म के अनुसार किसी को भोगना पड़ता है। आगे प्रवचन करते हुए उन्होंने गुरु और शिष्य के बंधन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सच्चे गुरु और शिष्य के सम्बन्ध का उद्देश्य सिर्फ भगवद् प्राप्ति होती है।
जो शिष्य अपने सद्गुरु की अंगुली पकड़ कर भक्ति करता है निश्चित ही वह भगवान् को पा लेता है। उन्होंने भक्त श्री प्रह्लाद महाराज की कथा सुनाते हुए कही कि मात्र 5 वर्ष की उम्र में भगवान को पाने के लिए अकेले जंगल में चले गए थे। उन्हें स्वयं श्री नारद ने गुरु बन कर जाप मंत्र दिया और इस मंत्र का जाप करते हुए जब भक्ति की सबसे ऊंची स्तिथि पर प्रह्लाद पहुच गए तब स्वयं नारायण जी ने पधारकर प्रह्लाद जी को दर्शन दिए। प्रवचन के अंत मे सभी श्रोताओं से हरिनाम नाम के जाप पर विशेष चर्चा करते हुए बताया कि हरि नाम सर्वोपरि हैं। मनुष्य को हरिनाम नहीं भूलना चाहिए। कथा के चतुर्थ दिवस पर आज सोमवार को भगवान् के भक्तो की कथा और भगवान् के 24 अवतारो में श्री वामन अवतार और भगवान् राम जन्म की कथा व कृष्ण जन्मोत्सव् मनाया जाएगा।