रतन टाटा: सादगी, नैतिकता और साहस की मिसाल अब हमारे बीच नहीं रहे

Deepak kumar

आज देश ने एक महान और प्रेरणादायक उद्योगपति को खो दिया। 86 वर्ष की आयु में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में रतन टाटा ने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। टाटा समूह के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने उनके निधन की पुष्टि करते हुए कहा, “रतन नवल टाटा को बहुत गहरे दुख के साथ विदाई दे रहे हैं। वे वास्तव में असाधारण शख्सियत थे।” महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने घोषणा की कि रतन टाटा का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा, और उनके पार्थिव शरीर को लोगों के अंतिम दर्शन के लिए दक्षिण मुंबई स्थित राष्ट्रीय कला प्रदर्शन केंद्र (एनसीपीए) में रखा जाएगा।

एक अद्वितीय व्यक्तित्व: सादगी और नैतिकता के प्रतीक

रतन टाटा को कॉर्पोरेट जगत में एक ‘धर्मनिरपेक्ष जीवित संत’ कहा जाता था। उनकी सादगी और विनम्रता ने उन्हें न केवल एक महान उद्योगपति के रूप में, बल्कि एक आदर्श व्यक्ति के रूप में भी स्थापित किया। दुनिया के सबसे प्रभावशाली उद्योगपतियों में से एक होने के बावजूद, उन्होंने कभी भी अपने आपको फोर्ब्स या टाइम जैसी अरबपतियों की सूची में शामिल नहीं किया। यह उनके स्वाभाविक रूप से सादगीपूर्ण जीवन का उदाहरण था।

टाटा की नेतृत्व क्षमता और नैतिक दृष्टिकोण ने टाटा समूह को दुनिया के 100 से अधिक देशों में फैलाया, लेकिन उनके दिल में हमेशा आम आदमी के लिए चिंता और दया थी। 1991 में अपने चाचा जेआरडी टाटा से टाटा समूह की कमान संभालने के बाद, उन्होंने अपने नेतृत्व में टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। टाटा नैनो और टाटा स्टील का अधिग्रहण उनके दूरदर्शी नेतृत्व के प्रमुख उदाहरण हैं।

रतन टाटा का समाज के प्रति योगदान

रतन टाटा न केवल एक सफल उद्योगपति थे, बल्कि एक बड़े सामाजिक कार्यकर्ता भी थे। उन्होंने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा सामाजिक कार्यों और जनकल्याण में लगाया। टाटा ट्रस्ट्स के माध्यम से उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवाओं में अभूतपूर्व योगदान दिया। उनके नेतृत्व में स्थापित मुंबई का टाटा ट्रस्ट्स स्मॉल एनिमल हॉस्पिटल जानवरों के प्रति उनकी करुणा का जीता जागता उदाहरण है।

प्रेरणास्रोत और साहस की मिसाल

रतन टाटा का जीवन साहस और प्रेरणा का प्रतीक था। 73 वर्ष की आयु में बेंगलुरू में आयोजित एयर शो में उन्होंने एफ-17 लड़ाकू विमान की कॉकपिट में बैठकर उड़ान भरी थी। यह उनकी दृढ़ता और जज्बे का प्रतीक था, जिसे आज भी याद किया जाता है। उनकी इस उड़ान ने न केवल देशवासियों को प्रेरित किया बल्कि यह दर्शाया कि उम्र कभी भी सपनों की उड़ान को नहीं रोक सकती।

दुनिया भर से श्रद्धांजलियां

रतन टाटा के निधन पर देश और दुनिया भर से शोक संवेदनाएं प्रकट की गईं। गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने कहा, “रतन टाटा एक असाधारण व्यवसाय और परोपकारी विरासत छोड़ गए हैं। उन्होंने हमेशा भारत के विकास के प्रति गहरी चिंता जताई।” पेटा इंडिया ने भी टाटा की जानवरों के प्रति करुणा को याद किया और कहा कि “रतन टाटा की दया और करुणा हमेशा जीवित रहेगी।”

एक ऐसा रत्न जो सदियों में जन्मता है

रतन टाटा एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें अगर अद्वितीय कहा जाए, तो यह कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। उन्होंने अपनी सादगी, निष्ठा और दृढ़ता से न केवल उद्योग जगत, बल्कि समाज को भी प्रभावित किया। उनके निधन के साथ ही एक युग का अंत हो गया, लेकिन उनके आदर्श और उनके द्वारा किए गए काम सदियों तक प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे।

रतन टाटा के जाने से भारत ने न केवल एक महान उद्योगपति खो दिया, बल्कि एक ऐसा व्यक्तित्व भी खोया है जिसने समाज के हर वर्ग के लिए काम किया और हमेशा लोगों के दिलों में अमर रहेंगे।

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