दैनिक अखबार में छपे एक आलेख में सूर्योपासना को गैर वैदिक बताने पर जताया कड़ा एतराज

ऋग्वेद में देवताओं में सूर्य का महत्वपूर्ण स्थान है। यजुर्वेद ने भी “चक्षो सूर्यो जायत” कह कर सूर्य को भगवान का नेत्र माना गया है। छन्दोग्यउपनिषद में सूर्य से पुत्र प्राप्ति का लाभ बताया गया है। ब्रह्मवैर्वत पुराण तो सूर्य को परमात्मा स्वरूप माना गया है। प्रसिद्ध गायत्री मंत्र सूर्य परक ही है। सूर्योपनिषद में सूर्य को ही संपूर्ण जगत की उतपत्ति का एक मात्र कारण बताया गया है, सूर्योपनिषद के अनुसार संपूर्ण जगत की सृष्टि तथा उसका पालन सूर्य ही करते है। ऐसे में एक प्रतिष्ठित दैनिक अखबार में छपे आलेख जिसमे सूर्योपासना को गैर वैदिक बताने पर फतेहपुर प्रखण्ड क्षेत्र के बदउआँ के रहने वाले डॉ. मंटु मिश्रा ने कड़ा एतराज जताया है।
उन्होंने कहा कि सूर्य पूजा को गैर वैदिक कहा जाना आसुरी मानसिकता की पराकाष्ठा है आदित्य हृदय स्त्रोत में भी संपूर्ण सूर्य की व्याख्या है एवं संतानोत्पत्ति हेतु इसका पाठ होता है। यहां तक की भगवान श्रीराम भी सूर्यवंशी ही हैं और जिस शाकद्विपीय ब्राह्मण के बारे में आलेख में अनाप-शनाप लिखा है वह सूर्यांश कहलाते हैं उन्होंने बताया कि मुझे तो लगता है कि लेख लिखने वाले को कुछ और ज्ञान की और कुछ अध्ययन की आवश्यकता है , अन्यथा ऐसे अनाप-शनाप प्रलाप नहीं करते । हिन्दुस्तान जैसे प्रतिष्ठित अखवार द्वारा तर्क हीन आलेख को प्रकाशित किया गया है। ऐसे तर्क हीन आलेख और अपनी अज्ञानता का शुद्ध रूप से परिचय देने वाले महानुभाव को अपनी मूर्खता के लिए क्षमा मांगनी चाहिए
लाइव मगध न्यूज़ डेस्क